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पत्र सतरहवां
वर्गीकरण
प्रिय बन्धु ।
सिद्धान्तो का उपयोग करने से याद रखना कितना सरल हो जाता है, उसके कुछेक अनुभव तुम प्राप्त कर चुके हो । इस प्रकार सिद्धान्तो का उपयोग करना,एक प्रकार की कला है और इसी कारण इस विषय को स्मरण-कला के रूप मे प्रकट किया गया है। इस पत्र मे इस कला का एक विशेष पहलू प्रकट करना चाहता हूँ, वह है वर्गीकरण का सिद्धान्त ।
अनेक वस्तुओ के समूह मे से समान गुण वाली वस्तुप्रो को पृथक-पृथक छाटना वर्गीकरण कहलाता है। जैसे कि-एक छावडी मे निम्नोक्त खिलौने भरे हुए है-तोता, गाय, दाडिम, चिडिया, ग्राम, हडा, हाथी, अमरूद, घोडा, मोर, थाली और कटोरा ।
हम उन्हे निम्नोक्त प्रकार से पृथक् करे तो वह उनका वर्गीकरण कहलाता है।
तोता गाय दाडिम हडा चिडिया हाथी प्राम
थाली मोर घोडा अमरूद __कटोरा
इसमे खिलौनो के चार वर्ग किए है उनमे प्रथम वर्ग पक्षियो का है, दूसरा वर्ग पशुयो का है, तीसरा वर्ग फलो का है और चौथा वर्ग वर्तनो का है। अब जो नाम ऊपर लिखे गये है, वैसे ही याद रखने हो तो बहुत परिश्रम करना पड़ता है । जब कि उनका वर्गीकरण करने पर एक वस्तु के याद आते ही दूसरो भी.याद आ जाती है। सरलता से सब याद रह जाती है ।