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स्मरण कला १३३
इससे दांत के ऊपर को पपड़ी और रस्सी दूर हो जाती है तथा दांत के मसूडे मजबूत बनते है।
कब्ज, निःसत्त्व खुराक, अति गर्म और अति ठण्डे पदार्थों का सेवन तथा दूसरे कारणो से होने वाला दांतो का दर्द मानसिक शक्ति मे भी बहुत विघटन पैदा करता है।
दन्त शुद्धि के साथ जीभ की शुद्धि भी होनी चाहिए। जिह्वा पर जमा हुआ मैल प्रतिदिन दूर कर देना चाहिये ।
आँख की शुद्धि स्वच्छ जल के छबके ( छीटे ) मार । कर अथवा मिट्टी के बर्तन मे रात्रि समय भीगे त्रिफला
के शीतल जल से करनी चाहिए। त्रिफला सस्ती से सस्ती औषधि है । इतने सस्ते खर्च मे जो लाभ होता है वह बहुत अधिक है । ज्ञान वृद्धि मे ऑखें अति उपयोगी है। इसलिए
उनकी सुरक्षा ठीक करनी चाहिए। (छ) मुख शुद्धि होने के बाद नासिका के द्वारा पानी पीना चाहिए, उसके लिए ग्रन्थो मे कहा गया है कि
विगतधन-निशीथे प्रातरुत्थाय नित्य, पिबति खलु नरो यो नासरन्ध्रेण वारि । स भवति मतिपूर्णश्चक्षुषा तायतुल्यो,
बलिपलितविहीन. सर्व रोगविमुक्त । मेघ रहित रात्रि बीतने पर शीतकाल और ग्रीष्मकाल मे प्रतिदिन प्रात काल उठते ही जो मनुष्य नासिका से जल पीता है, वह बुद्धि सम्पन्न, गरुड़ समान दृष्टिवाला, झुरियो और सफेद बालो से रहित तथा समग्र रोगो से मुक्त हो जाता है।
___ नासिका द्वारा पीया जाने वाला पानी रात्रि मे ताम्बे के लोटे मे भर कर रखा जाये और सुबह इसका प्रयोग
किया जाय तो बहुत अधिक फलदायक होता है। (ज) थोडी देर प्रात कालीन शुद्ध वायु का सेवन करना चाहिये ।
प्रात: परिभ्रमण के लिए कहा गया है कि