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३६ स्मरण कला
कर रखना चाहिए। थोड़ी देर बाद चिटली अगुली उठा कर बायी नासिका से श्वास को धीरे-धीरे छोड़ देना चाहिए ।
इतनी क्रिया का यह एक प्राणायाम हुआ। ऐसे पांच प्राणायामों से प्रारम्भ करके धीरे-धीरे बीस प्रारणायामो तक आगे बढना चाहिए।
प्राणायाम करते समय इस प्रकार चिन्तन करना चाहिये कि इस क्रिया से मुझे खूब लाभ मिल रहा है। मेरे मस्तिष्क के प्रत्येक भाग मे तथा रग-रग मे शुद्ध रक्त का संचार हो रहा है और दूषित मल बाहर निकल रहा है। मेरी प्राण शक्ति खूब सतेज हो रही है। मेरा शरीर तथा मन स्वास्थ्य से भरपूर वन रहा है।
प्राणायाम पर अनेक स्वतन्त्र ग्रन्थ लिखे गये है । इसलिए आवश्यकता महसूस हो तो उनमे से प्रमाणभूत एक-दो ग्रन्थ गहराई से पढ़ लेने चाहिये।
यह पत्र प्रमाण मे कुछ लम्बा हो गया है। इसलिए अब अधिक नहीं लिखकर यही समाप्त करता हूँ। साथ-साथ मैं ऐसी आशा रखता हूँ कि इनमे से जो-जो विषय आचरण मे लाने योग्य प्रतीत हो, उन्हे बिना विलम्ब आचरण मे उतारकर लाभ उठाओगे।
प्रात.काल की इस क्रिया के बाद क्या करना चाहिए ? इसकी सूचना अब बाद के पत्र मे ज्ञापित करूंगा।
मगलाकाक्षी
धी०