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३८ । स्मरण कला
विद्यार्थियो को तथा युवकों को आवश्यक मात्रा में दूध मिलता रहे, उसके लिए समाज और राज्य को समुचित व्यवस्था करने की अनिवार्य आवश्यकता है। जिस देश में एक समय दूध और घी की नदियाँ बहती थी, इस देश की उभरती प्रजा को आज पूरा पीने जितना दूध भी नही मिलता है और जो मिलता है वह भी सव मिलावट वाला. यह वात कितनी खेदजनक है। इस स्थिति मे उभरती प्रजा बुद्धि-बल मे कितनी प्रगति कर सकेगी? कितनी सुचारु व्यवस्था बन सकेगी।
भैस की अपेक्षा गाय का दूध स्मृति के लिए अधिक लाभदायक माना गया है। गर्दभी का दूध बुद्धिमांधकर और घोडी का दूध हृदय के लिए अहितकर है। बकरी का दूध पूरी तरह पथ्य और बुद्धि शक्ति के लिए मध्यम है। खान-पान का प्रभाव मनुष्य की बुद्धि और स्मृति पर पड़ता है, इसलिए आहार यदि सात्त्विक हो तो बुद्धि सात्त्विक बनती है,
आहार राजसिक हो तो बुद्धि राजसिक बनती है और आहार तामसिक हो तो बुद्धि तामसिक बनती है। इसीलिए कहा गया है कि
आहार. प्राणिन सद्यो बलकृद् देहधारिणः । स्मृत्यायु शक्ति-वणी जः सत्त्व-शोभा-विवर्धन ।।
सात्त्विक आहार त्वरित ही बल को उत्पन्न करना है तथा देह को धारण करता है, वैसे ही स्मृति, आयुष्य शक्ति,
वर्ण, ओजस्, बुद्धि और शोभा का वर्धन करता है । ३. नीचे की वस्तुओं का उपयोग स्मृति को सुधारता है। गाय का
दूध, ताजा मक्खन, मधु , मिसरी, गेहूँ, चावल, बादाम, अखरोट
केला और अमरूद । ४. निम्नोक्त वस्तुओ का प्रयोग स्मृति को.विकृत बनाता है।
मदिरा, भाग, गाजा, चरस, अतिकटुक पदार्थ, अतितिक्त पदार्थ, टीडोला, सुपारी तथा नागरवेल के डण्ठल सहित पान । ___५. शेष वस्तुएँ मध्यम है।