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XXII
२८.
२९.
चतुर्थ अध्याय
प्रातःकाल का कर्त्तव्य
गर्भाधानादि संस्कारों की आवश्यकता
दान के पात्र और उसका फल
३०.
३१. पुरुषार्थ के चिह्न और फल ऋतु के अनुसार कार्य
३२.
अहिंसा वृद्धि के लिए कर्त्तव्य कार्य वात्सल्यभाव की आवश्यकता
क्षमादिधर्म और १२ भावना
स्वाध्याय की आवश्यकता
१. प्रथमानुयोग
२. करणानुयोग
३. चरणानुयोग
४. द्रव्यानुयोग
५. न्याय व्याकरणादि पठन
३३.
३४.
३५.
३६.
३७.
३८.
३९.
४०.
४१.
४२.
भोजन के अन्तरायों का कथन
४३.
अन्तरायों में भेद
४४.
वितान बन्धन
४५.
मौन की आवश्यकता व उसके स्थान
४६.
जप और उसका रहस्य
४७.
ध्यान और उसके भेद
४८. मृतदेह विर्सजन विधि
४९.
५०.
५१.
५२.
सूतक विधि व उसके चिह्न व प्रयोजन
धर्म का पालन न करने वाला कैसा है
कल्याणार्थ कौन सा धर्म पालना चाहिए वीतराग के रक्षक कौन हैं
पञ्चम अध्याय
५३. द्वितीय व्रतप्रतिमा का स्वरूप द्वादशव्रतावलि
५४.
५५. अहिंसाणुव्रत का स्वरूप ५६. अहिंसाणुव्रती के लिए दोष
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