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सप्ततिकाप्रकरण परम्परामें वही स्थान मलयगिरि सरिका है। इन्होंने जिन प्रन्योपर टीकाएँ लिखीं हैं उनकी तालिका बहुत बढ़ी है। ऐसी एक तालिका
आत्मानन्द जैन अन्यमालासे प्रकाशित होनेवाले ८६वें रत्न की प्रस्तावना में छपी है। पाठकोंकी जानकारीके लिये उसे हम यहाँ दे रहे हैं।
श्लोकप्रमाण
३७५० ३७०० मुद्रित १६०००
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१६०००
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९५००
७७३२
९५००
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नाम १ भगवती सूत्र द्वितीय शतकवृत्ति । २ राजप्रश्नीयोपाङ्गटीका ३ जीवाभिगमोपाइटीका ४ प्रज्ञापनोपाइटीका ५ चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गटीका ६ नन्दीसूत्रटीका ७ सूर्यप्रनम्न्युपांगटीका ८ व्यवहारसूत्रवृत्ति ९ बृहत्कलापीठिकावृत्ति अपूर्ण १० आवश्यकवृत्ति ११ पिण्डनियुक्त टीका १२ ज्योतिष्फरण्ड टीका १३ धर्मसंग्रहणी वृत्ति १४ कर्मप्रकृति वृत्ति १५ पचसंग्रहवृत्ति १६ पढशीतिवृत्ति १७ सप्ततिकावृत्ति १८ वृहत्सग्रहणीवृत्ति १९ वृहत्क्षेत्रसमासवृत्ति । २० मलयगिरिशब्दानुशासन
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