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[गोम्मटसार जीषकाण्ड सम्बन्धी प्रकरण
अपेक्षा लिऐं मार्गणानि विर्षे काल का, अर अंतर का कथन करि छटा गति मार्गरणा अधिकार है । तहां गति के लक्षण का, अर भेदनि का अर च्यारि भेदनि के निरुक्ति लिए लक्षानि का, अर पाँच प्रकार तिर्यच , च्यारि प्रकार मनुष्यनि का अर सिद्धनि का वर्णन है । बहुरि सामान्य नारकी, जुदे-जुदे सात पृथ्वीनि के नारकी, अर पाँच प्रकार तिर्यच, च्यारि प्रकार मनुष्य, अर व्यंतर, ज्योतिषी, भवनवासी, सौधर्मादिक देव, सामान्य देवराशि इन जीवनि की संख्या का वर्णन है। तहां पर्याप्त मनुष्यनि की संख्या कहने का प्रसंग पाइ "कटपयपुरस्थवण" इत्यादि सूत्र करि ककारादि अक्षररूप अंक बा बिंदी की संख्या का वर्णन है ।
बहुरि सातमा इंद्रियमार्गणा अधिकार विर्ष - इंद्रियनि का निरुक्ति लिए लक्षरण का, अर-लब्धि उपयोगरूप भावेंद्रिय का, अर बाह्य अभ्यन्तर भेद लिए निवृत्ति-उपकरणरूप द्रव्येन्द्रिय का, अर इन्द्रियनि के स्वामी का, अर तिनके विषयभूत क्षेत्र का, अर तहां प्रसंग पाइ सूर्य के चार क्षेत्रादिक का अर इंद्रियनि के आकार का वा अवगाहना का, अर अतींद्रिय जीवनि का वर्णन है। बहुरि एकेन्द्रियादिकनि का उदाहरण रूप नाम कहि, तिनकी सामान्य संख्या का वर्णन करि, विशेषपने सामान्य एकेन्द्री, अर सूक्ष्म बादर एकेंद्री, बहुरि सामान्य अस, अर बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चौइंद्रिय, पंचेन्द्रिय इन जीवनि का प्रमाण, अर इन विर्षे पर्याप्त-अपर्याप्त जीवनि का प्रमाण वर्णन है।
बहरि पाठमा कायमार्गणा अधिकार विर्षे - काय के लक्षण का वा भेदनि का वर्णन है । बहुरि पंच स्थावरनि के नाम, अर काय, कायिक जीवरूप भेद, पर बादर, सूक्ष्मपने का लक्षणादि, पर शरीर की अवगाहना का वर्णन है। . .
___ बहुरि वनस्पती के साधारण प्रत्येक भेदनि का, प्रत्येक के सप्रतिष्ठित-अप्रतिष्ठित भेदनि का, पर तिनको अवगावहना का पर एक स्कंध विर्षे तिनके शरीरनि के प्रमाण का, अर योनीभूत बीज विर्षे जीव उपजने का, वा तहां सप्रतिष्ठित-अप्रतिष्ठित होने के काल का, अर प्रत्येक वनस्पती विर्षे सप्रतिष्ठित-अप्रतिष्ठित जानने कौं तिनके लक्षण का, बहुरि साधारण वनस्पती निमोदरूप तहां जीवनि के उपजने, पर्याप्ति घरने, मरने के विधान का, अर निगोद शरीर की उत्कृष्ट स्थिति का, अरं स्कंध, अंडर, पुलवी, आवास, देह, जीव इनके लक्षण प्रमाणादिक का अर नित्यनिगोदादि के स्वरूप का वर्णन है । बहुरि श्रस जीवनि का अर तिनके क्षेत्र का वर्णन है। बहुरि वनस्पतीवत् औरनि के शरीर विर्षे सप्रतिष्ठित-अप्रतिष्ठितपने का, अर स्थावर, बस
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