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[ সকলৰ জীৱষার ফী অক্ষয়
भूमि, चय, गच्छ इत्यादि संज्ञानि का स्वरूप वा प्रमाण ल्यावने कौ करणसूत्रनि का वर्णन है । बहुरि अपूर्वकरण का कायन विष ताके काल, स्वरूप, परिणाम, समयसमय संबंधी परिणामादिक का कथन है । बहुरि अनिवृत्तिकरण का कथन विर्षे ताकै स्वरूपादिक का कथन है । बहुरि सूक्ष्मसम्पराय का कथन विष प्रसंग पाइ कर्मप्रकृतिनि के अनुभाग अपेक्षा अविभागप्रतिच्छेद, वर्ग, वर्गणा, स्पर्द्धक, गणहानि, नानागुणहानिनि का अर पूर्वस्पर्द्धक, अपूर्वस्पर्धक, बादरकृष्टि, सूक्ष्मकृष्टि का वर्णन है । इत्यादि विशेष कथन है सो जानना । बहुरि उपशांतकषाय, क्षीणकषाय का कथन विर्षे तिनके दृष्टांतपूर्वक स्वरूप का, सयोगी जिन का कथन विर्षे न केवललब्धि
आदिक का, अयोगी विष शैलेश्यपना आदिक का कथन है। ग्यारह गुणस्थाननि विर्षे गुणश्रेणी निर्जरा का कथन है। तहां द्रव्य की अपकर्षमा करि उपरितन स्थिति अर गुणश्रेणी प्रआयाम अर उदयावली विर्षे जैसे दीजिए है, ताका वा गुणश्रेणी आयाम के प्रमाण का निरूपण है। तहां प्रसंग पाइ अंतर्मुहुर्त के भेदनि का वर्णन है । बहुरि सिद्धनि का वर्णन है।
बहुत दूसरा धिकार विष - जीवसमास का अर्थ वा होने का विधान कहि चौदह, उगरणीस, वा सत्तावन, जीवसमासनि का वर्णन है । बहुरि च्यारि प्रकारि जीवसमास कहि, तहां स्थानभेद विर्षे एक आदि उगणीस पर्यंत जीवस्थाननि का, वा इन ही के पर्याप्तादि भेद करि स्थाननि का वा अठ्याणवै वा च्यारि से छह जीवसमासनि का कथन है । बहुरि योनि भेद विर्षे शंखावर्तादि तीन प्रकार योनि का, अर सम्मूर्च्छनादि जन्म भेद पूर्वक नव प्रकार योनि के स्वरूप वा स्वामित्व का अर चौरासी लक्ष योनि का वर्णन है । तहां प्रसंग पाइ च्यारि गतिनि विर्ष सम्मूर्छनादि जन्म वा पुरुषादि वेद संभव, तिनका निरूपण है । बहुरि अवगाहना भेद विर्षे सूक्ष्मनिमोद अपर्याप्त आदि जीवनि की जघन्य, उत्कृष्ट शरीर की अवगाहना का विशेष वर्णन है । तहां एकेद्रियादिक की उत्कृष्ट अवगाहना कहने का प्रसंग पाइ गोलक्षेत्र, संखक्षेत्र, पायत, चतुरस्रक्षेत्र का क्षेत्रफल करने का, अर अवगाहना विर्षे प्रदेशनि की वृद्धि जानने के अथि अनंतभाग अादि चतुःस्थानपतित वद्धि का, पर इस प्रसंग ते दृष्टांतपूर्वक षट्स्थानपतित आदि वृद्धि-हानि का, सर्व अवगाहना भेद जानने के अर्थि मत्स्यरचना का वर्णन है । बहुरि कुल भेद विर्षे एक सौ साढा निण्याणवै लाल कोडि कुलनि का वर्णन है।
बहुरि तीसरा पर्याप्त नामा अधिकार विष - पहले मान का वर्णन है। तहाँ लौकिक-अलौकिक मान के भेद कहि । बहुरि द्रव्यमान के दोय भेदनि विर्षे, संख्या
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