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संस्थाओं एवं भजन मण्डलों ने अत्यन्त ही सुन्दर, रोचक एवं उपदेश पूर्ण एकांकी, नृत्य, भजन, कव्वाली, कविता आदि प्रस्तुत किये ।
मा० मोतीलाल संघी स्मृति दिवस
समाज के मूक सेवी एवं सन्मति पुस्तकालय के संस्थापक स्व० मा मोतीलालजी संघी का पुण्य स्मृति दिवस राजस्थान विधान सभा के सदस्य श्री फूलचन्द जैन की अध्यक्षता में 17 जनवरी को
मनाया गया ।
महावीर जयन्ती स्मारिका
सभा सन् 1962 से स्व० पूज्य पण्डित चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ की प्रेरणा से 'महावीर जयन्ती स्मारिका' का प्रकाशन महत्वपूर्ण एवं उपयोगी सिद्ध हुआ है । यह इस संस्था का एक नियमित वार्षिक प्रकाशन बन गया है। इसमें जैन दर्शन, इतिहास, संस्कृति और साहित्य पर अधिकृत विद्वानों के गवेषणापूर्ण लेख व कवितायें रहती हैं । इस वर्ष भी स्मारिका का बारहवां अंक श्री भंवरलाल पोल्याका के प्रधान सम्पादकत्व में सभा द्वारा प्रकाशित किया गया ।
सामाजिक प्रवृत्तियां
जैन सभा की गतिविधियां केवल समारोह एवं साहित्य प्रचार तक ही सीमित नहीं हैं अपितु जब भी सामाजिक क्षेत्र में कोई भी समस्या उत्पन्न हुई सभा ने आगे आकर यथासम्भव समाधान करने का प्रयत्न किया है । राजस्थान विधान सभा में प्रस्तुत नग्न विरोधी बिल को वापिस कराने, राजस्थान ट्रस्ट एक्ट में आवश्यक संशोधन कराने, राज्य सरकार से अनन्त चतुदशी एवं संवत्सरी का ऐच्छिक अवकाश स्वीकृत कराने, सांगानेर में जमीन से प्राप्त जैन मूर्तियों को समाज को सुपुर्द कराने तथा आयकर में हुये संशोधन से समाज को जानकारी कराने आदि महत्वपूर्ण कार्य किये हैं ।
समाज में व्याप्त रूढ़ियों और कुरीतियों के विरुद्ध भी यह सभा सदैव जागरूक रही है । समाज में सगाई एवं विवाह आदि के अवसर पर दहेज की मांग, ठहराव आदि को सदैव बुरी दृष्टि से देखती रही हैं और इन बुराइयों को दूर करने में सदैव प्रयत्नशील है ।
सभा का कार्य संचालन एक कार्यकारिणी समिति करती है जिसके 21 सदस्य हैं उनमें से सदस्यों का चुनाव क्रमानुसार प्रतिवर्ष कराया जाता है। सभा की सदस्यता शुल्क 1 ) रु० वार्षिक है । सभा के रचनात्मक कार्यों की लोकप्रियता के कारण सभा के सदस्यों की संख्या इस वर्ष 2500 से बढ़कर लगभग 4000 हो गयी है ।
सभा की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है इस कारण चाहते हुये भी अपने लक्ष्यों को पूर्ण करने में असमर्थ रही है ।
सभा द्वारा सम्पन्न किये जाने वाले विभिन्न प्रयोजनों व कार्यक्रमों में जहां सभा की कार्यकारिणी समिति के सदस्यों एवं सर्वश्री हीराचन्द वैद, तिलकराज जैन, निहालचन्द जैन, राजरूप टांक,
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