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प्रतिभा के धनी श्रमणी चम्पाजी म.सा.
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• गुरुवर्या श्री नंदकुंवरजी म. की शिष्या साध्वी श्री बिन्दु प्रभा सा. र. महान विभूतियाँ शताब्दियों के बाद जन्म लेती हैं। और अपने दिव्य गुणों द्वारा वह समय के आकाश पर अमिट कहानी लिख जाती है महापुरुषों का जीवन गगनचारी सूर्य के समान होता है, जिसके प्रकाश में असंख्य प्राणी मार्ग दर्शन पाते है। उनके जीवन का प्रत्येक क्षण अमूल्य होता हैं। अपने लिए भी और अन्य जीवों के लिए भी।
___ इस नश्वर संसार में प्रतिपल, प्रतिक्षण सैकडों आत्माएँ जन्म लेती हैं। और मृत्यु की गोद में समा जाती है। यह क्रम आज से नहीं अपितु अनादिकाल से अनवरत चला आ रहा हैं। जन्म मरण की इस चिर परम्परा पर अभी तक किसी ने अपना अनुशासन नहीं जमाया है। और न ही कोई जमा सकेगा क्यों कि जन्म और मरण की जो प्रक्रिया हो रही है वह कृत्रिम नहीं अपितु यथार्थ हैं।
महासती श्री चम्पाकुंवर जी म.सा. एक ऐसे ही अद्भुत सौरभ सुमन थे जिनमें त्याग वैराग्य करुणा आदि का अपार भंडार था। आपकी प्रवचन शैली अत्यंत रोचक थी। आपकी वाणी में अमृत का अक्षय स्रोत प्रवाहित होता था।
तेजोमय जीवन दीप सदा के लिए बुझ गया। समाज का एक अनमोल रत्न हमसे सदा के लिए छीन लिया गया। विधि का विधान कठोर है। आयु बल का क्या प्रमाण यह कौन जानता था कि हमें श्रमणी रत्न यों छोड़कर चल देंगे।
__ आपके महान जीवन का सर्वप्रथम परिचय मुझे वैराग्यावस्था में मध्यप्रदेश के धमतरी ग्राम में प्राप्त हुआ। अतः विश्वास के साथ कह सकती हूँ कि वे ज्ञान के भंडार थे। आपकी मधुर स्मृतियाँ मेरे मानस पटल पर ज्यों की त्यों अंकित है। इसी शुभ कामना है के साथ मैं पूज्या साध्वी रत्न श्री चम्पाकुंवर जी म.सा. के चरण कमलों में अपने भाव पुष्प समर्पित करती हूँ।
हृदय का सम्राट जिगर का हुकमरा जाता रहा। खार का महबूब गुलों का महरबां जाता रहा।
मौन क्यों गुच्छे है और क्यों हर कली मुरझा गई। आज हमारे बाग से है बागवां जाता रहा।
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