Book Title: Kasaypahudam Part 14
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवला
उस समय जो प्रदेशज उनमें बिखाई देता है
उसका निर्देश आगे अन्तिम समय तक अनुत्कीर्ण अनुभाग
काण्डककी विधि तीसरे समयके समान
होती है इसका निर्देश तदनन्तर समयमें अनुसागसत्कर्म में नानापनका
लोभसंज्वलनकी प्रथमादि वर्गणाओंमें अल्प
बहुत्वका निर्देश माया आदि तीन संज्वलनोंमें इसी प्रकार जाननेका निर्देश
३६७ क्रोध आदि चारों संज्वलनोंमें अपूर्व स्पर्धक आदिके अल्पबहुत्वका निर्देश
३६७ अवकर्णकरणके अन्तिम समयमें संज्वलन ज्ञादि
सब कोंके स्थितिबन्धका निर्देश ६७१
निर्देश
३६४
इन प्रथमादि समयोंमें अपूर्व स्पर्धक किस
समय कितने किये गये इसका निर्देश
३६५