Book Title: Kasaypahudam Part 14
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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खवगसैढीए तदियमूलगाहाए तदियभासगाहा
२६७ (९३) गुणसेढी अणंतगुणेणणाए वेदगो दु अणुभागे ।
गणणादियंतसेढी पदेस-अग्गेण बोद्धव्वा ॥१४६॥ $ २८९. एत्थ गाहापुवढे पदसंबंधो एवं कायन्यो–'अणंतगणेणूणाए गुणसेढीए अणुभास्स एसो समयं पडि वेदगो होदि ति । एत्थ अणुभागे ति सत्तमीणिद्दे सो विसयलक्खणो दट्टन्वो, छट्ठीए वा अत्थे एसो सप्तमीणि सो त्ति घेत्तव्यो । तदो समए समए अणंतगुणहीणमणंतगुणहीणमप्पसत्थकम्माणमणुभागमेसो वेदयदि त्ति गाहापुव्वद्ध समुदायत्थो । संपहि गाहापच्छद्धमस्सियूण पदेसुदयस्स समयं पडि पवुत्तिकमो वुच्चदे। तं जहा–'गणणादियंतसेढी' एवं मणिदे असंखेज्जगुणाए सेढीए पदेसग्गमेसो समयं पडि वेदेदि ति मणिदं होइ । किं कारणं ? असंखेज्जगुणकमेण द्विदगुणसेढिगोवुच्छाओ वेदेमाणस्स पयारंतरासंभवादो। संपहि एदस्सेवत्थस्स फुडीकरणमुवरिमं विहासागंथमाह
* विहासा। ६२९०. सुगम । * जहा। ६२९१. सुगम । * अस्सिं समये अणुभागुदयो बहुगो । से काले अणतगुणहीणो ।
(९३) यह संक्रामक प्रस्थापक जीव अनन्तगुणहीन गुणश्रेणिरूपसे अनुभागका वेदक होता है। तथा असंख्यातगुणी श्रेणिरूपसे यह प्रदेशपुजका वेदक जानना चाहिये ॥१४६॥
६२८९. यहाँ गाथाके पूर्वार्धका इसप्रकार पदसम्बन्ध करना चाहिये-अनन्तगुणी हीन गुणश्रेणिरूपसे अनुभागका यह प्रत्येक समयमें वेदक होता है । यहाँपर 'अणुभागे' इस पदमें विषयलक्षण सप्तमी विभक्तिका निर्देश जानना चाहिये । अथवा छटो विभक्तिके अर्थमें यह सप्तमी विभक्तिका निर्देश ग्रहण करना चाहिये। इसलिए अप्रशस्त कर्मोके अनुभागका प्रत्येक समयमें अनन्तगुणे हीन रूपसे यह जीव वेदन करता है यह गाथाके पूर्वार्धका समुच्चयरूप अर्थ है । अब गाथाके उत्तरार्धका आलम्बन लेकर प्रत्येक समयमें प्रदेश-उदयके प्रवृत्तिक्रमको कहते हैं। वह जैसे-'गणणादियंतसेढी' ऐसा कहनेपर असंख्यातगुणी श्रेणिरूपसे प्रदेशपुंजको यह जीव प्रत्येक समयमें वेदता है, क्योंकि असंख्यात गुणितक्रमसे स्थित हुई गुणोणिगोपुच्छाओंका वेदन करनेवाले जीवके प्रकारान्तरसे वेदन होना असम्भव है। अब इसो अर्थको स्पष्ट करनेके लिये आगेके विभाषाग्रन्थको कहते हैं
* अब उक्त गाथासूत्रकी विभाषा करते हैं। ६२९०. यह सूत्र सुगम है।
वह जैसे। 5२९१. यह सूत्र सुगम है। * इस समय अनुभागका उदय बहुत होता है। तदनन्तर समयमें अनन्तगुणा