Book Title: Kasaypahudam Part 14
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जवधवला सहिदे कसायपाहुडे
* तिन्हं घादिकम्माणं द्विदिसंतकम्मससंखेज्जगुणं । * णामा-गोदाणं ट्ठिदिसंतकम्ममसंखेज्जगुणं । * वेदणीयस्स ट्ठिदिसंतकम्मं विसेसाहियं ।
$ १४०. मोहणीयस्स ट्ठिदिसंतकम्मे संखेज्जवस्सिये जादे वि जाव तिन्हं घादिकम्माणं संखेज्जवस्सियं द्विदिसंतकम्मं ण जायदे ताव पुव्वत्तेणेव कमेण हिदिसंतकम्मपाबहुअं पयहृदि, णाण्णहात्ति भणिदं होदि । एवं सत्तगोकसाय संकामयस्म पढमसमए विदिबंध -ट्ठिदिसंत कम्माणमप्पा बहुअपत्तिमं पवित्र संपति तस्सेव पढमट्ठिदिखंड णिल्लेविदे मोहणीयादिकम्माणं डिदिसंतकम्मं घादिदावसेसं कधमवचिट्ठदिति दस्स णिण्णयकरणट्ठमिदमाह
* पढमट्ठिदिखंडए पुण्णे मोहणीयस्स ट्ठिदिसंतकम्मं संखेजगुणहीणं । * सेसाणं ट्ठिदिसंतकम्ममसंखेज्जगुणहीणं ।
$ १४१- गयत्थमेदं सुतं । संपहि एदस्सेव पढमट्ठिदिबंधे पुणे अण्णो हिदिबंध पयट्टमाणो मोहणीयादिकम्माणं कधं पयहृदि ति एदस्स अत्थविसेसस्स णिवा - रणदुमुत्तरसुत्तमाह
तीन घातिकमा स्थितिसत्कर्म असंख्यातगुणा है ।
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नामकर्म और गोत्रकर्मका स्थितिसत्कर्म असंख्यातगुणा है ।
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* वेदनीय कर्मका स्थितिसत्कर्म विशेष अधिक है ।
$ १४०. मोहनीयकर्मके स्थितिसत्कर्मके संख्यात वर्षप्रमाण हो जानेपर भी जबतक तीन घातिकर्मोंका स्थितिसत्कर्म संख्यात वर्षप्रमाण नहीं हो जाता तबतक पूर्वोक्त क्रमसे ही स्थितिसत्कर्मविषयक अल्पबहुत्व प्रवृत्त रहता है, अन्य प्रकारसे नहीं यह उक्त कथनका तात्पर्य है । इस प्रकार सात नोकषायों के संक्रामकके प्रथम समय में स्थितिबन्ध और स्थितिसत्कर्मके अल्पबहुत्व के प्रवृत्तिक्रमका कथन करके अब उसीके प्रथम स्थितिकाण्ड कके निर्लेपित होनेपर मोहनीय आदि कर्मोंका घात करनेके बाद अवशिष्ट रहा स्थितिसत्कर्म किस प्रकारका अवशिष्ट रहता है इस बातका निर्णय करनेके लिये आगेका सूत्र कहते हैं
* प्रथम स्थितिकाण्डकके सम्पन्न होनेपर मोहनीयकर्मका स्थितिसत्कर्म संख्यातगुणा हीन होता है ।
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शेष कर्मोंका स्थितिसत्कर्म असंख्यातगुणा हीन होता है ।
$ १४१. यह सूत्र गतार्थ है । अब इसीके प्रथम स्थितिन्धके सम्पन्न होनेपर प्रवृत्त होता हुआ अन्य स्थिति मोहनीय आदि कर्मोंका किस प्रकारका होता है इस अर्थविशेषका निर्धारण करनेके लिये आगेके सूत्रको कहते हैं
१. ता० प्रतौ 'पयट्टदि त्ति' इति पाठः ।