Book Title: Kasaypahudam Part 14
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे ९९. सुगमं ।
* ताघे वि अप्पाबहुअं । णामागोदाणं हिदिबंधो थोवो । णाणावरणदंसणावरण-वेदणीय अंतराइयाणं हिदिवंधो संखेजगुणो। मोहणीयस्स हिदिबंधो संखेनगुणो।
$ १०० सुगममेदं पि, पुव्वपयट्टस्सेव अप्पाबहुअस्स एण्हि पि णाणत्तेण विणा पवुत्ती होदि ति संभालणफलत्तादो ।
* एदेण कमेण संखेवाणि हिदिबंधसहस्साणि गदाणि ।
5 १०१ सुगमं । एवमेदेण अप्पाबहुअविहिणा सन्वेसि कम्माणं पलिदोवमस्स संखेजदिभागिगेसु संखेज्जेसु द्विदिबंधसहस्सेसु गदेसु तदो णामागोदाणं वा पच्छिमे पलिदोवमस्स संखेज्जदिभागिगे द्विदिबंधे दुरावकिट्टिसण्णिदे संपत्ते तदो असंखेन्जे भागे द्विदिवघेणोसरमाणस्स जाघे णामागोदाणं पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागिओ पढमो डिदिबंधो जादो ताघे अण्णारिसमप्पाबहुअं होदि त्ति पदुप्पाएमाणो सुत्तपबंधमुत्तरं भणदि
* तदो अण्णो विदिबंधी जाधे णामागोदाणं पलिदोवमस्स असंखेबविभागो ताघे सेसाणं कम्माणं हिदिबंधो पलिदोवमस्स संखेजविभागो ।
$ ९९. यह सूत्र सुगम है।
के उस समय भी अन्पबहुत्व-नामकर्म और गोत्रकर्मका स्थितिबन्ध सबसे स्तोक है। ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय और अन्तराय कर्मोंका स्थितिबन्ध संख्यातगुणा होता है। मोहनीयकर्मका स्थितिबन्ध संख्यातगुणा होता है।
६१००. यह सूत्रप्रबन्ध भी सुगम है, क्योंकि पूर्वमें प्रवृत्त हुए अल्पबहुत्वकी ही इस समय नानापनके बिना प्रवृत्ति होती है इसकी सम्हाल करना इसका प्रयोजन है ।
* इस क्रमसे संख्यात हजार स्थितिबन्ध व्यतीत हो जाते हैं।
$ १०१. यह सूत्र सुगम है। इस प्रकार इस अल्पबहुत्व विधिसे सभी कर्मोके पल्योपमके संख्यातवें भागसम्बन्धी संख्यात हजार स्थितिबन्धोंके व्यतीत हो जानेपर तत्पश्चात् नामकर्म और गोत्रकर्मके दूरापकृष्टि संज्ञावाले अन्तिम पल्योपमके संख्यातवें भागप्रमाण स्थितिबन्धके सम्पन्न हो जानेपर तत्पश्चात् स्थितिबन्धापरणके असंख्यात बहुभागप्रमाण होनेपर जब नामकर्म और गोत्रकर्मका पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण प्रथम स्थितिबन्ध हो जाता है तब अन्य प्रकारका अल्पबहुत्व होता है इस बातका ज्ञान कराते हुए आगेके सूत्रप्रबन्धको कहते हैं
तब अन्य स्थितिबन्ध होता है। जब नामकर्म और गोत्रकर्मका पन्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण स्थितिबन्ध होता है तब शेष कर्मोंका स्थितिबन्ध पन्योपमके संख्यातवें भागप्रमाण होता है।