Book Title: Kasaypahudam Part 14
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जवधवला सहिदे कसा पाहुडे
* माणस्स पदमट्ठिदी विसेसाहिया । $ ३०६. केत्तियमेत्तेण १ उच्छ्द्विावलियमेत्तेण ।
* माणस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया । $ ३०७. केत्तियमेत्तेण ? समयूणावलियमेत्तेण ।
* कोहस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया ।
$ ३०८. केत्तियमेत्तेण ? अंतोमुहुत्तमेतेण । किं कारणं ? उवरिमअद्धाहिंतो हेमिअद्धाणं तहाभावेणावद्वाणस्स परमागमचक्खूणं सुप्पसिद्धत्तादो ।
* छण्णोकसायाणमुवसामणद्धा विसेसाहिया ।
$ ३०९. केत्तियमेत्तेण ? अंतोमुहुत्तमेत्तेण । कुदो ? हेट्ठा समुवलद्धसरूवत्तादो ।
* पुरिसवेदस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया ।
$ ३१०. केत्तियमेत्तेण ? समयूणदो आवलियमेत्तेण ।
* इत्थवेदस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया ।
समाधान - अन्तर्मुहूर्तप्रमाण काल अधिक है । * मानकी प्रथम स्थिति विशेष अधिक है । ९ ३०६. शंका - कितनी अधिक है ? समाधान - उच्छिष्टावलिमात्र अधिक है ।
* मानका उपशामनाकाल विशेष अधिक है ।
६ ३०७. शंका - कितना अधिक है ?
समाधान - एक समय कम एक आवलिप्रमाणकाल अधिक है ।
* क्रोधका उपशामनाकाल विशेष अधिक है ।
९ ३०८. शंका - कितना अधिक है ?
समाधान--- अन्तर्मुहूर्तप्रमाण काल अधिक है ।
शंका - इसका क्या कारण है ?
समाधान –— परमागम जिनके नेत्र हैं ऐसे जीवोंकी दृष्टिमें उपरिम कालोंसे अधस्त कालोंका उस रूपसे अवस्थानका होना सुप्रसिद्ध है ।
* छह नोकषायोंका उपशामनाकाल विशेष अधिक है ।
$ ३०९. शंका - कितना अधिक है ?
समाधान -- अन्तर्मुहूर्तप्रमाण काल अधिक है, क्योंकि इस कालकी उपलब्धि नीचे होती है । * पुरुषवेदका उपशामनाकाल विशेष अधिक है।
§ ३१०. शंका - कितना अधिक है ?
समाधान — एक समय कम दो आवलिप्रमाण काल अधिक है ।
* स्त्रीवेदका उपशामनाकाल विशेष अधिक है ।