SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८ जवधवला सहिदे कसा पाहुडे * माणस्स पदमट्ठिदी विसेसाहिया । $ ३०६. केत्तियमेत्तेण १ उच्छ्द्विावलियमेत्तेण । * माणस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया । $ ३०७. केत्तियमेत्तेण ? समयूणावलियमेत्तेण । * कोहस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया । $ ३०८. केत्तियमेत्तेण ? अंतोमुहुत्तमेतेण । किं कारणं ? उवरिमअद्धाहिंतो हेमिअद्धाणं तहाभावेणावद्वाणस्स परमागमचक्खूणं सुप्पसिद्धत्तादो । * छण्णोकसायाणमुवसामणद्धा विसेसाहिया । $ ३०९. केत्तियमेत्तेण ? अंतोमुहुत्तमेत्तेण । कुदो ? हेट्ठा समुवलद्धसरूवत्तादो । * पुरिसवेदस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया । $ ३१०. केत्तियमेत्तेण ? समयूणदो आवलियमेत्तेण । * इत्थवेदस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया । समाधान - अन्तर्मुहूर्तप्रमाण काल अधिक है । * मानकी प्रथम स्थिति विशेष अधिक है । ९ ३०६. शंका - कितनी अधिक है ? समाधान - उच्छिष्टावलिमात्र अधिक है । * मानका उपशामनाकाल विशेष अधिक है । ६ ३०७. शंका - कितना अधिक है ? समाधान - एक समय कम एक आवलिप्रमाणकाल अधिक है । * क्रोधका उपशामनाकाल विशेष अधिक है । ९ ३०८. शंका - कितना अधिक है ? समाधान--- अन्तर्मुहूर्तप्रमाण काल अधिक है । शंका - इसका क्या कारण है ? समाधान –— परमागम जिनके नेत्र हैं ऐसे जीवोंकी दृष्टिमें उपरिम कालोंसे अधस्त कालोंका उस रूपसे अवस्थानका होना सुप्रसिद्ध है । * छह नोकषायोंका उपशामनाकाल विशेष अधिक है । $ ३०९. शंका - कितना अधिक है ? समाधान -- अन्तर्मुहूर्तप्रमाण काल अधिक है, क्योंकि इस कालकी उपलब्धि नीचे होती है । * पुरुषवेदका उपशामनाकाल विशेष अधिक है। § ३१०. शंका - कितना अधिक है ? समाधान — एक समय कम दो आवलिप्रमाण काल अधिक है । * स्त्रीवेदका उपशामनाकाल विशेष अधिक है ।
SR No.090226
Book TitleKasaypahudam Part 14
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy