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बीकानेर के व्याख्यान]
कहता है-अगर यज्ञ करने वाले कहते हैं कि पशुओं को अज्ञान है और हम ज्ञानी हैं. इसी लिए उन्हें स्वर्ग भेजते हैं: तो इसके उत्तर में पशुओं का कहना है कि हमें तो इस बात पर विश्वास है नहीं, अगर इन्हें विश्वास नो ये लोग अपने कुटुम्ब को स्वर्ग भेजें । अगर इन्होंने अपने बेटे को इस प्रकार मार कर स्वर्ग भेजा हाता तो हमें विश्वास हो जाता कि ये दिल से ऐसा मानते हैं । मगर जब यज्ञ करने वाले अपने माता पिता और पुत्र प्रादि का स्वर्गसुख से वंचित रखकर हमें स्वर्ग भेजने की बात कहते हैं तो हमें इनकी बात पर विश्वास नहीं होता। इसलिए हमें मारने वाले को परमात्मा की दुहाई है। ___ मंत्री कहता है-उन पशुओं की तरफ से यह फरियाद है
और वे इसका उत्तर माँगते हैं। __राजा ने यज्ञ करने वाले पुरोहितों से पूछा-क्या आप लोग अपने परिवार को यज्ञ में होम सकते हैं !
पुरोहित-शास्त्र में पशुओं को होमने का विधान है, कुटुम्ब को होमने का कहीं विधान नहीं है।
राजा-तब तो कहना पड़ेगा कि आपका शास्त्र भी पक्षपात से भरा है । बस, अब रहने दीजिये । क्षमा कीजिये, में ऐसी शांति नहीं चाहता। मेरा उद्देश्य किसी को अशांति पहुँचाकर शांति प्राप्त करना नहीं है । मेरा कर्त्तव्य मुझे सब को शांति पहुँचाने के लिए प्रेरित करता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com