Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 4
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 25
________________ शलाका पुरुष , ४८ करोड़ गाँव २८ द्वीप, ४२ लाख हाथी ४२ लाख रथ है करोड़ घोड़े, ४२ करोड़ पदाति, ८००० गणबद्ध देव थे । ६६६-६७२। रामचन्द्र जीके अपराजित नामका 'हलायुध' अमोघ नामके तीक्ष्ण 'बाण', कौमुदी नामकी 'गदा' और रत्नावतंसिका नामकी 'माला' ये चार महारत्न थे। इन सब रत्नोंकी एक-एक हज़ार यक्ष देव रक्षा करते थे ६०२-६०४१ (ति प./४/१४३३), (शि.सा./८२५): ( म. पु. / ५७/६०-६४ )। ४. नव नारायण निर्देश १. पूर्व मव परिचय क्र. क्र. १ १. नाम १. ति प / ४ / १४१२,५१८ २. त्रि. सा./८२५ ह २. १.५/२०/२२० मी ४. ह. पु. / ६०/२८८-२८ २. म. पू. // प पु. पोदनपुर द्वापुरी हस्तिनापुर 3 चक्रपुर कुशाग्रपुर मिथिला अयोध्या मथुरा नाम Jain Education International १५७/८३-८५ २५८/८४ ३ | ५६/८५-८६ ४ ६०/६६.२० ५६१/७१,८५ ६ ६५ / १७४-९७६ ७६६/१०६-२०० ८६७/१५० १७०/३० २. वर्तमान मवके नगर व माता पिता (प. पु. /२०/२२१-२२८) (म.पू./ पूर्व शीर्षनल) ५ पिता ६. माता द्विपृष्ठ स्वयंभू पुरुषोत्तम पुरुषसिंह पुरुषपंडरीक दत्त ( २, ५ पुरुषदत्त ) नारायण ( ३.५ लक्ष्मण ) कृष्ण ४. नगर म. पु. पोदनपुर द्वारावती " " खगपुर चक्रपुर बनारस " ( पीछे अयोध्या ) ६०/२६४ मथुरा नाम विश्वनन्दी पर्वत धनमित्र १. प. पु. /२०/२०६-२१७ २. म. पू. पूर्व नीचे वाले नाम प. पु. से दिये गये हैं । म. पु. के नामोंमें कुछ अन्तर है सागरदत्त बिकट १८ प्रिय मित्र मानसचेष्टित पुनर्वसु गंगदेव म. पु. प्रजापति ब्रह्म भद्र सोमप्रभ सिहसेन वरसेन अग्निशिख दशरथ ५. बलदेवों सम्बन्धी नियम ति.प./४/१४३६ अणिदाणगदा सव्वे बलदेवा केसवा णिक्षाणगदा उड्ढगामी राज्ये महदेवा मेसमा अधोगामी १४३६सम मलदेव निदानसे रहित होते हैं और सभी मटदेव उर्ध्वगामी अर्थात स्वर्ग म मोक्षको जाने वाले होते हैं ( ध. ६/१, ६-६,२४३ / ५००/६ ); ६. पु. ६०/२६३)। शलाका पुरुष / १/२ - ५ बलदेवोंका परस्पर मिलान नहीं होता, तथा एक क्षेत्र में एक समय में एक ही बलदेव होता है। २. द्वितीय पूर्व भव वसुदेव नगर हस्तिनापुर अयोध्या श्रावस्ती कौशाम्बी पोदनपुर शैलनगर सिंहपुर कौशाम्बी हस्तिनापुर प. पु. प्रजापति भवभूति रोवनाव सोन प्रख्यात शिवाकर समसूर्याग्निनाद दशरथ वसुदेव जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश दीक्षा गुरु For Private & Personal Use Only सम्भूत सुभद्र सुदर्शन श्रेयांस ਚੰਦਰਿ वसुभूति घोषसेन पराम्भोधि द्रुमसेन प. पु. व म. पु. मृगावती माधवी ( ऊषा ) पृथिवी सीता अम्बिका लक्ष्मी कोशिनी यी देवकी ४. नव नारायण निर्देश ३. प्रथम पूर्व भव १.१.५./२०/ २१८-२२० २. म पु . / पूर्ववत स्वर्ग महाशुक्र प्राणत लान्तव सहस्रार ब्रह्म ( २ माहेन्द्र ) प्रभवा मनोहरा सुनेत्रा माहेन्द्र ( २ सौधर्म ) सौधर्म सनत्कुमार ७. पटरानी प. पु. व म. पु. सुप्रभा रूपिणी महाशुक्र रुक्मिणी विमलन्दरी आनन्दवती प्रभावती तीर्थ www.jainelibrary.org

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