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- उपवास करने से ज्वर / बुखार उतर जाता है । - पानी के सतत छिड़काव से उद्यान हराभरा रहता है ।
ज्ञानसार
किसी साँप का जहर तुम्हारे अंग-अंग में फैल गया है, यह तुम जानते हो ? तुम विषम ज्वर से पीडित हो, इस का तुम्हें पता है ? तुम्हारा उद्यान जल बिना उजड गया है, इसका तुम्हें तनिक भी खयाल है ?
और इसके लिए तुम किसी महामंत्र की खोज में हो ? किसी औषधि की तलाश में हो ? कोई पानी की नीक अपने उद्यान में प्रवाहित करना चाहते हो ? तब तुम्हें नाहक हाथ-पाँव मारने की जरूरत नहीं । इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं,.... चिंता और शोक से भयाकुल होने का कोई कारण नहीं !
तो क्या तुम निदान कराना चाहते हो ? कोई बात नहीं ? आयो इधर बैठो और शांत चित्त से सुनो :
'तुम्हें प्रज्ञान नामक 'सर्प' का विष चढ गया है । तुम्हें स्वच्छंदता का ज्वर हो आया है.... और पिछले कई दिनों से आ रहा है । सच है ना ? तुम्हारा 'धर्म' नामक उद्यान उजड रहा है न ?
यदि तुम्हें निदान सच लगे तोही औषधि लेना । खयाल रहे, जैसा निदान सही है वैसे उसके उपचार भी जवरदस्त हैं, नकसीर और रामबाण हैं ।
शास्त्ररूपी महामंत्र का जाप करिए, शिघ्र ही अज्ञान - सर्प का जहर उतर जाएगा ! 'शास्त्र' नामका उपवास कीजिए, बुखार दुम दबाकर भाग खड़ा होगा और 'शास्त्र' नाम की नीक को खुला छोड़ दीजिए, धर्मोद्यान नवपल्लवित होते देर नहीं लगेगी ।
लेकिन सावधान ! एकाध दिन, एकाध माह.. एकाध वर्ष तक शास्त्र का स्वाध्याय-जाप करने मात्र से प्रज्ञान रुपी साँप का जहर नहीं उतरेगा । आजीवन ... ग्रहर्निश शास्त्र जाप करते रहना चाहिए । स्वच्छंदता का ज्वर दूर करने के लिए नियमित रुप से शास्त्र स्वाध्याय रुप उपवास करने होंगे । यह कोई मामूली ज्वर नहीं है, तुम्हारे अंग-प्रत्यंग में वह बुरी तरह से समा गया है ! अतः उसे दूर करने के लिए अगणित
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