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इस ग्रन्थ में अनेक विशेषताएँ हैं; परमाक्रान्ति २३ अंश ३५ कला मानी गयौ है। इस ग्रन्थ की रचना शक सं. ११९२ में हुई है। इसमें गणिताध्याय, यन्त्रघटनाध्याय, यन्त्ररचनाध्याय, यन्त्रशोधनाध्याय और यन्त्रविचारणाध्याय ये पांच अध्याय हैं । क्रमोत्क्रमज्यानयन, भुजकोटिज्या का चापसाधन, क्रान्ति-साधन, धुज्याखण्डसाधन, धुज्याफलानयन, सौम्य यन्त्र के विभिन्न गणितों का साधन, अक्षांश से उन्नतांश साधन; ग्रन्थ के नक्षत्र ध्रुवादि से अभीष्ट वर्ष के ध्रुवादि का साधन, नक्षत्रों के दृक्कर्मसाधन, द्वादश राशियों के विभिन्न वृत्त-सम्बन्धी गणितों का साधन, इष्टशंकु से छायाकरणसाधन, यन्त्रशोधन प्रकार और उसके अनुसार विभिन्न राशि और नक्षत्रों के गणित का साधन, द्वादश भाव और नवग्रहों के स्पष्टीकरण का गणित एवं विभिन्न यन्त्रों द्वारा सभी ग्रहों के साधन का गणित बहुत सुन्दर ढंग से इस ग्रन्थ में बताया गया है। इस पर से पंचांग बहुत सरलता से बनाया जा सकता है ।
मकरन्द–इन्होंने सूर्यसिद्धान्त के अनुसार तिथ्यादि साधनरूप सारणी अपने नाम से ( मकरन्द ) बनारस में शक सं. १४०० में तैयार की है। ग्रन्थ के आदि में लिखा है
- श्रीसूर्यसिद्धान्तमतेन सम्यक् विश्वोपकाराय गुरूपदेशात् ।
तिथ्यादिपत्रं वितनोति काश्यां आनन्दकन्दो मकरन्दनामा ॥
मकरन्द के ऊपर दिवाकर ज्योतिषी द्वारा लिखा गया विवरण है। इनकी इस सारणी द्वारा पंचांग अनेक ज्योतिषी बनाते हैं। इस समय ग्रहलाघव सारणी और मकरन्दसारणी का खूब प्रचार है । मकरन्द सारणी का जॉन वेण्टली साहब ने अँगरेजी में भी अनुवाद किया है। यह ग्रन्थ ज्योतिषियों के लिए बड़ा उपयोगी है।
केशव-इनके पिता का नाम कमलाकर और गुरु का नाम वैद्यनाथ था। इनका जन्म पश्चिमी समुद्र के किनारे नन्दिग्राम में ईसवी सन् १४५६ में हुआ था। यह ज्योतिष शास्त्र के बड़े भारी विद्वान थे। इन्होंने ग्रहकौतुक, वर्षग्रहसिद्धि, तिथिसिद्धि, जातकपद्धति, जातकपद्धतिविवृति, ताजिकपद्धति, सिद्धान्तवासना पाठ, मुहूर्ततत्त्व, कायस्थादि धर्म पद्धति, कुण्डाष्टकलक्षण एवं गणितदीपिका इत्यादि अनेक ग्रन्थ बनाये हैं । इनके पुत्र गणेशदैवज्ञ ने इनकी प्रशंसा करते हुए लिखा है
सोमाय ग्रहकौतुकं खगकृति तच्चालनाख्यं तिथेः सिद्धिं जातकपद्धति सविवृतिं वत्ताजिके पद्धतिम् सिद्धान्तेऽप्युपपत्तिपाठनिचयं मौहूर्ततत्वामिधं
कायस्थादिजधर्मपद्धतिमुखं श्रीकेशवार्योऽकरोत् ॥ इससे सिद्ध होता है कि केशव ज्योतिषशास्त्र के पूर्ण पण्डित थे। ग्रहगणित और फलित इन दोनों विषयों का इन्हें अच्छा ज्ञान था।
गणेश-इनके पिता का नाम केशव और माता का नाम लक्ष्मी था। इनका
प्रथमाध्याय
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