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शन्यन्तर्दशा चक्र शु. । सू. चं.
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गुर्वन्तर्दशा चक्र
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राह्वन्तर्दशा चक्र चं. | भौ. बु.
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शुक्रान्तर्दशा चक्र मैं
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योगिनी दशा योगिनी दशा ३६ वर्ष में पूर्ण होती है, इसलिए कुछ ज्योतिर्विद् इसका फल ३६ वर्ष की आयु तक ही मानते हैं। लेकिन कुछ लोग ३६ वर्ष के बाद इसकी पुनरावृत्ति मानते हैं। आजकल जन्मपत्री में विंशोत्तरी और योगिनी दशा नियमित रूप से लगायी जाती है।
योगिनी दशाओं के मंगला, पिंगला, धान्या, भ्रामरी, भद्रिका, उल्का, सिद्धा और संकटा ये नाम बताये गये हैं। इनकी वर्षसंख्या भी क्रमशः १, २, ३, ४, ५, ६, ७ और ८ है। इन दशाओं के स्वामी क्रमशः चन्द्र, सूर्य, गुरु, भौम, बुध, शनि,
द्वितीयाध्याय
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