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शृंगाटक योग
समस्त ग्रह १।५।९ वें स्थान में हों तो श्रृंगाटक योग होता है । इस योगवाला जातक सैनिक, योद्धा, कलहप्रिय, राजकर्मचारी, सुन्दर पत्नीवाला एवं कर्मठ होता है । वीरता के कार्यों में इसे सफलता प्राप्त होती है । इस योगवाले का भाग्य २३ वर्ष की अवस्था से उदय हो जाता है ।
हल योग
समस्त ग्रह २।६।१० वें स्थान या ३।७।११ वें स्थान अथवा ४।८।१२वें स्थान में हों तो हल योग होता है। इस योग में जन्म लेनेवाला जातक बहुभक्षी, दरिद्र, कृषक, दुखी और भाई-बन्धुओं से युक्त होता है । कृषि सम्बन्धी शिक्षा में इस जातक को विशेष सफलता प्राप्त होती है ।
वज्र योग
समस्त शुभग्रह लग्न और सप्तम स्थान में स्थित हों अथवा समस्त पापग्रह चतुर्थ और दशम भाव में स्थित हों तो वज्र योग होता है । इस योगवाला बाल्य और वार्धक्य अवस्था में सुखी, शूर-वीर, सुन्दर, निःस्पृह, मन्द भाग्यवाला, पुलिस या सेना में नौकरी करनेवाला होता है ।
यव योग
समस्त पापग्रह लग्न और सप्तम भाव में हों अथवा समस्त शुभग्रह चतुर्थ और दशम भाव में हों तो यव योग होता है । इस योगवाला जातक व्रत - नियम- सुकर्म में तत्पर, मध्यावस्था में सुखी, धन-पुत्र से युक्त, दाता, स्थिर बुद्धि एवं चौबीस वर्ष को अवस्था से सुख-सम्पत्ति प्राप्त करनेवाला होता है ।
कमल योग
समस्त ग्रह १/४/७/१० वें स्थान में हों तो कमल योग होता है । इस योग का जातक धनी, गुणी, दीर्घायु, यशस्वी, सुकृत करनेवाला, विजयी, मन्त्री या राज्यपाल होता है । कमल योग बहुत ही प्रभावक योग है । इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति शासनाधिकारी अवश्य बनता है । यह सभी के ऊपर शासन करता है । बड़े-बड़े व्यक्ति उससे सलाह लेते
वापी योग
समस्त ग्रह केन्द्र स्थानों को छोड़ पणफर २।५।८।११ वें स्थान तथा आपोक्लिम ३।६।९।१२वें भाव में हों तो वापी योग होता है । इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति धनसंग्रह में चतुर, सुखी, पुत्र-पौत्रादि से युक्त, कलाप्रिय और मण्डलाधिकारी होता है ।
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भारतीय ज्योतिष
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