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पुरुषार्थी और कार्यरत पाँचवें भाव में हो तो सुन्दर पुत्रवाला, त्यागी, लब्धप्रतिष्ठ, धनिक, विनीत, विद्वान्, दीर्घायु और कर्तव्यनिष्ठ; छठे भाव में हो तो बलवान्, कृपण, धनवान्, शत्रुनाशक, नीरोग और सत्कार्यरत; सातवें भाव में हो तो तेजस्वी, शीलवान्, सुशीला, गुणवती एवं सुन्दरी भार्या का पति और भाग्यवान्; आठव भाव में हो तो कृपण, धन-संग्रहकर्ता, दीर्घजीवी; लग्नेश यदि क्रूर ग्रह हो तो कटुवक्ता, क्षीण-शरीरी तथा सौम्य ग्रह हो तो पुष्ट देहवाला और नीरोग; नौवें भाव में हो तो पुण्यवान्, पराक्रमी, तेजस्वी, स्वाभिमानी, सुशील, विनीत, धार्मिक व्रती और लब्धप्रतिष्ठ; दसवें भाव में हो तो विद्वान्, सुशील, गुरुजन-सेवा में रत, राज्य से लाभ प्राप्त करनेवाला और समाज - प्रसिद्ध; ग्यारहवें भाव में हो तो श्रेष्ठ, आजीविकावाला, सुखी, प्रसिद्ध, तेजस्वी, बली, परिश्रमी और साधारण धनी; एवं बारहवें भाव में हो तो कठोर प्रकृति, व्यर्थ बकवाद करनेवाला, प्रसन्नचित्त, धोखेबाज, प्रवासी, रोगी और अविश्वासी होता है ।
द्वितीय भाव विचार
इस भाव का विचार द्वितीयेश, द्वितीय भाव की राशि और इस स्थान पर दृष्टि द्वितीयेश शुभग्रह हो या द्वितीय भाव में तथा शुभग्रहों की द्वितीय भाव पर दृष्टि योग दिये जाते हैं
रखनेवाले ग्रहों के सम्बन्ध से करना चाहिए । शुभ ग्रह की राशि और उसमें शुभग्रह बैठा हो हो तो व्यक्ति धनी होता है । नीचे कुछ धनी
१ - भाग्येश और लाभेश का योग ३. - भाग्येश और चतुर्थेश का योग ५- भाग्येश और लग्नेश का योग ७- - दशमेश और लाभेश का योग ९ -- दशमेश और लग्नेश का योग ११ - दशमेश और द्वितीयेश का योग १३ - लाभेश और चतुर्थेश का योग १५ - लाभेश और पंचमेश का योग १७ - लग्नेश और चतुर्थेश का योग १९ – धनेश और चतुर्थेश का योग २१ - चतुर्थेश और पंचमेश का योग ।
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उपर्युक्त २१ योगवाले ग्रह २/४/५/७ भावों में हों तो पूर्ण फल, ८ १२ भावों में हों तो आधा फल और छठे भाव में हों तो चतुर्थांश फल देते हैं, निष्फल बताये गये हैं ।
अन्य स्थानों में
२- भाग्येश और दशमेश का योग ४ - भाग्येश और पंचमेश का योग ६ - भाग्येश और धनेश का योग ८ - दशमेश और चतुर्थेश का योग १० - दशमेश और पंचमेश का योग १२ - लाभेश और धनेश का योग १४ - लाभेश और लग्नेश का योग १६ – लग्नेश और धनेश का योग १८ - लग्नेश और पंचमेश का योग २० --- धनेश और पंचमेश का योग
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भारतीय ज्योतिष
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