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गण बोधक चक्र | म. आश्ले. ध. | ज्ये. | मू. । श. कृ. चि. | वि. | राक्षस पू. भा.. षा.पू. फा. उ. भा. उ. षा. उ.फा. रो. भ. आ. | मनुष्य । | अनु. पुन. | मृ. ) श्र. | रे. स्वा. ह. | अ. पु. देवता
गण-गुण बोधक चक्र
वर का गण
गण ।
म
कन्या का गण
उदाहरण-इन्दुमती का कृत्तिका नक्षत्र होने से राक्षस गण हुआ और चन्द्रवंश का रेवती नक्षत्र होने से देवगण हुआ। उपर्युक्त कोष्ठक में वर और कन्या के गण को मिलाने से शून्य गुण आया। इसी प्रकार अन्यत्र भी गण मिलाना चाहिए । भकट जानने की विधि और उसका फल
___कन्या की जन्मराशि से वर की जन्मराशि तक गिनना चाहिए तथा इसी प्रकार वर की जन्मराशि से कन्या की जन्मराशि तक भी गिनना चाहिए। यदि गिनने से दोनों की राशि छठी और आठवीं हो तो दोनों की मृत्यु, नवमी और पांचवीं हो तो सन्तान की हानि तथा दूसरी और बारहवीं हो तो निर्धन होते हैं। इससे भिन्न राशियों में दोनों सुखी रहते हैं।
भकूट-गुण बोधक चक्र
वर की राशि राशि मे. वृ.मि.' क.सि. क. तु. वृध. म.
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कन्या की राशि
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भारतीय ज्योतिष
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