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५-यदि लग्न में बलवान् ग्रह हो तो अपने विषय में, तीसरे स्थान में बलवान् ग्रह हो तो भाई के विषय में, पंचम स्थान में हो तो सन्तान के विषय में, चतुर्थ स्थान में हो तो माता और मौसी के विषय में, छठे स्थान में हो तो शत्रु के विषय में, सप्तम स्थान में हो तो स्त्री के विषय में, नवम स्थान में हो तो धर्म या भाग्य के विषय में, दशम में हो तो राजा के विषय में प्रश्न समझना चाहिए।
६-सूर्य अपने घर का हो तो राजा, राज्य के सम्बन्ध में अपनी या पिता की चिन्ता; चन्द्रमा स्वगृही हो तो जल, खेत, गढ़ा, धन और माता की चिन्ता; मंगल स्वगृही हो तो शत्रुभय, राजभय, भूमि, ज़मींदारी की चिन्ता; बुध स्वगृही हो तो खेत, आयुध, चाचा और स्वामी की चिन्ता; गुरु स्वगृही हो तो धर्म, मित्र, विद्या, गुरु और शासन के सम्बन्ध में चिन्ता; शुक्र स्वगृही हो तो अच्छी बातों की चिन्ता और शनि हो तो घर और भूमि की चिन्ता पुच्छक के मन में होती है।
७-चन्द्रमा लग्न में हो तो मार्ग या शत्रु की चिन्ता; धन में हो तो क्षेत्र, धन, भोज्य पदार्थों की चिन्ता; तीसरे स्थान में हो तो प्रवास की चिन्ता; चतुर्थ स्थान में हो तो घर और माता के विषय में चिन्ता; पंचम में हो तो सन्तान की चिन्ता; षष्ठ में हो तो रोगचिन्ता; सप्तम में हो तो स्त्री की चिन्ता; अष्टम स्थान में हो तो मृत्यु की चिन्ता; नवम में हो तो यात्रा की; दशम में हो तो खेत, कार्यसिद्धि की; एकादश में हो तो वस्त्र-लाभ की; और बारहवें में हो तो चोरी गयी वस्तु के लाभ की चिन्ता पृच्छक के मन में होती है।
८-मंगल बलवान् हो तो अपने विषय में गुरु बलवान् हो तो स्त्री के विषय में; चन्द्रमा बलवान् हो तो माता के विषय में; शुक्र बलवान् हो तो वंश के विषय में; शनि बलवान् हो तो शत्रु के विषय में और सूर्य बलवान् हो तो पिता के विषय में प्रश्न पृच्छक के मन में होता है। मुष्टिका प्रश्न विचार
प्रश्नसमय मेष लग्न हो तो मुट्ठी की वस्तु का लाल रंग; वृष लग्न हो तो पीला; मिथुन हो तो नीला; कर्क हो तो गुलाबी; सिंह हो तो धूमिल; कन्या हो तो नीला; तुला हो तो पीला; वृश्चिक हो तो लाल; धनु हो तो पीला; मकर तथा कुम्भ में कृष्ण वर्ण और मीन में पीला वर्ण होता है। वस्तु का विशेष स्वरूप लग्नेश के स्वरूप, गुण और आकृति से कहना चाहिए ।
केरल मतानुसार प्रश्न विचार
प्रातःकाल पृच्छक आये तो उसके प्रश्नाक्षरों को या बालक के मुख से किसी पुष्प का नाम, मध्याह्न में बालक के मुख से फल का नाम, दिन के तीसरे पहर में बालक के मुख से देव का नाम और सायंकाल में नदी या तालाब का नाम ग्रहण करना
पंचम अध्याय
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