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यदि धर्मेश और सुखेश लग्न से सम्बन्धित हों और उन्हें बृहस्पति देखता हो तो जातक को सम्मान प्राप्त होकर और उत्तम वाहन भी मिलता है । नवमेश और चतुर्थेश यदि बलवान् हों, शुभग्रह से युक्त हों तो जातक को मोटर आदि वाहन उपलब्ध होता है ।
सुखेश, बृहस्पति अथवा शुक्र बलवान् होकर लग्न से नवम भाव में प्राप्त हों, नवमेश त्रिकोण या केन्द्र में स्थित हो तो जातक बहुत वाहन से गृह विचार
युक्त होता है ।
द्वितीय, द्वादश और चतुर्थ ग्रह के स्वामी पापग्रह से युक्त होकर अष्टम स्थान में स्थित हों तो सर्वदा किराये के मकान में रहना पड़ता है । शत्रु स्थान में पापग्रह हो अथवा पापग्रह सुख भाव को गृह के सुख से वंचित रहता है । नीच राशि या शत्रु राशि में हो तो मनुष्य को गृह-सुख प्राप्त नहीं होता ।
चतुर्थेश द्वादश भाव में हो तो जातक परगृह में निवास करता है । अष्टम में हो तो गृह का अभाव होता है ।
देखता हो तो जातक मंगल अथवा सूर्य स्थित
द्वादशेश, द्वितीयेश और चतुर्थेश षष्ठ, तृतीय, द्वादश और अष्टम स्थान में जितने पापग्रह स्थित हों उतने ही गृह नष्ट होते हैं । लग्न त्रिकोण और केन्द्र में जितने बलवान् ग्रह हों तो उतने अच्छे गृह उपलब्ध होते हैं ।
तृतीय भाव में शुभग्रह हों और चतुर्थेश बलवान् होकर केन्द्र - त्रिकोण में स्थित हो तो उत्तम गृह की उपलब्धि होती है ।
तृतीय भाव शुभग्रह युक्त हो, चतुर्थेश बली हो और लग्नेश भी पूर्ण बलवान् हो तो उन्नत गृह उपलब्ध होता है ।
चतुर्थेश का द्वादश भावों में फल
चतुर्थेश लग्न में हो तो जातक पितृभक्त, काका से वैर करनेवाला, पिता के नाम से प्रसिद्धि पानेवाला, कुटुम्ब की ख्याति करनेवाला और मान्य; द्वितीय में हो तो पिता के धन से वंचित, कुटुम्बविरोधी, झगड़ालू और अल्पसुखी; तीसरे स्थानों में हो तो पिता को कष्ट देनेवाला, माता से झगड़ा करनेवाला, कुटुम्बियों के साथ रूखा व्यवहार करनेवाला और अपनी सन्तान द्वारा प्रसिद्धि पानेवाला; चौथे स्थान में हो तो राजा तथा पिता से सम्मान पानेवाला, पिता के धन का उपभोग करनेवाला, स्वधर्मरत, कर्तव्यनिष्ठ, धन-धान्य से परिपूर्ण और सुखी; पाँचवें भाव में हो तो दीर्घायु, राजमान्य, पुत्रवान्, सुखी, विद्वान् कुशाग्रबुद्धि और पिता द्वारा अर्जित धन से आनन्द लेनेवाला; छठे स्थान में हो तो धनसंचयकर्ता, पराक्रमी, स्नेही तथा चतुर्थेश क्रूर ग्रह होकर छठे स्थान में हो तो पिता से वैर करनेवाला, पिता के धन का दुरुपयोग करनेवाला और
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