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पुत्र कम होते हैं; किन्तु इन्हीं राशियों में शुभग्रह स्थित हों तो सन्तान सुन्दर उत्पन्न होती है ।
९ - पंचम स्थान में तोन पापग्रह हों या पंचम पर तीन पापग्रहों की दृष्टि हो और पंचमेश शत्रुराशि में हो तो नारी बाँझ होती है ।
१० - अष्टम स्थान में चन्द्रमा और बुध हों तो काकबन्ध्या योग होता है । यदि अष्टम में बुध, गुरु और शुक्र हों तो गर्भनाश होता है या सन्तान होकर मर जाती है । ११ - सप्तम स्थान में मंगल हो और उसपर शनि की दृष्टि हो, अथवा शनि, मंगल दोनों ही सप्तम स्थान में हों तो गर्भपात होता है या बहुत ही कम सन्तान उत्पन्न होती है ।
प्रवासी पतियोग - जन्मलग्न चर राशि में हो तो नारी का पति प्रवासी होता है । चर राशियों में लग्नेश और तृतीयेश हों तो भी पति प्रवासी होता है । पति के गुण-दोष द्योतक योग
१ - सप्तम भाव में २७ राशि हो तथा शुक्र का नवमांश हो तो पति भाग्यवान्_
होता है ।
२ - सप्तम में सूर्य की राशि या सूर्य का नवमांश हो तो मन्द रति करनेवाला, विद्वान्, लेखक, विचारक, अफ़सर पति होता है ।
३ - सप्तम भाव में चन्द्रमा हो या चन्द्रमा का नवमांश हो तो कामी, कोमल स्वभाव का, दयालु, विद्वान्, रसिक, धनी, व्यापारी पति होता है । ४ - सप्तम में मंगल की राशि या मंगल का नवमांश हो तो क्रोधी, ज़मींदार, कृषक, धनी, हिंसक, व्यसनी और नीच प्रकृति का व्यक्ति पति होता है ।
५ - सप्तम भाव में बुध की राशि या बुध का नवमांश हो तो विद्वान्, शोधक, इतिहासज्ञ, कवि, लेखक - सम्पादक, मजिस्ट्रेट, धनी, रतिज्ञ, कामी, मायावी और चतुर पति होता है ।
६ - सप्तम भाव में गुरु की राशि या गुरु का नवमांश हो तो गुणवान्, विशेषज्ञ, त्यागी, पत्नीभक्त, सेवापरायण, मन्त्री, न्यायाधीश, लोभी, चिड़चिड़ा, धर्मात्मा और प्राचीन परम्परा का पोषक पति होता है ।
७ - सप्तम में शनि की राशि या शनि का नवमांश हो तो मूर्ख, व्यसनी, क्रोधी, आलसी, साधारण धनी और चिड़चिड़े स्वभाव का पति होता है ।
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भारतीय ज्योतिष
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