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सहम साधन
ताजिक शास्त्र में पुण्यादि ५० सहमों का साधन किया गया है। यहां कुछ आवश्यक सहमों का गणित लिखा जाता है । सहम संस्कार
जिसमें घटाया जाये उसे शुद्धाश्रय और जो घटाया जाये उसे शोध्य कहते हैं। यदि इन दोनों के मध्य में लग्न न हो तो एक राशि जोड़ देना चाहिए और मध्य में लग्न न हो तो एक राशि नहीं जोड़ना चाहिए ।
उदाहरण-चन्द्रमा कन्या राशि का, सूर्य मकर राशि का और लग्न मेष राशि का है। यहाँ कन्या और मकर के बीच में लग्न की राशि नहीं है, अतः एक जोड़ा जायेगा। पुण्यसहम का साधन
__दिन में वर्षप्रवेश हो तो चन्द्रमा में से सूर्य को घटाये और रात में वर्षप्रवेश हो तो सूर्य में से चन्द्रमा को घटाकर शेष में लग्न जोड़कर पूर्वोक्त सहम संस्कार करने पर पुण्यसहम होता है।
उदाहरण प्रस्तुत वर्षकुण्डली का वर्षप्रवेश रात को हुआ है अतएव ७।५।४१।४१ सूर्य में से
०।१८।२८।५० शेष में ६।१६।१२।५१ चन्द्रमा को घटाया
६।२३।५११३८ लग्न को जोड़ा ०११८।२८।५० शेष
७।१२।२०।२८ पुण्यसहम हुआ यहाँ लग्न शोध्य और शुद्धाश्रय के बीच में है क्योंकि चन्द्रमा तुला का और सूर्य वृश्चिक का है तथा लग्न तुला का है जो दोनों के मध्य में पड़ता है, अतएव एक राशि जोड़ने की आवश्यकता नहीं है। गुरु और विद्या सहम
दिन में वर्षप्रवेश हो तो सूर्य में से चन्द्रमा को घटाये और रात में वर्षप्रवेश हो तो चन्द्रमा में से सूर्य को घटाकर लग्न जोड़ देने से विद्या और गुरु सहम होते हैं। सहम संस्कार यहाँ पर भी अवश्य करना चाहिए।
उदाहरण
६।१६।१२।५११ चन्द्रमा में सूर्य को घटाया जा रहा है, क्योंकि वर्षप्रवेश रात ७ ।५।४११४१ ।
में हुआ है। ११।१०।३१।१० शेष में ६३२३१५११३८ लग्न को जोड़ा
६।४।२२।४८ गुरु और विद्या सहम १. देखें, ताजिक नीलकण्ठी, पृ. १२५ । चतुर्थ अध्याय
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