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वर्षप्रवेशकालीन ग्रहस्पष्ट चक्र
भौ. । बु.
।
बृ..
।
शु. श. | रा. | के. ग्र.
६ ३ १ ७ राशि ८ | १२ | २२ । २२ अंश
कला | २८
२८
विकला
२
कलाविकलात्मक
वर्षकुण्डली
मो.च्सबुक
K५ चं. X४ श.
११
२रा
वर्षकुण्डली के अन्य गणित, द्वादश भाव चक्र, चलित चक्र आदि का साधन जन्मकुण्डली के गणित के समान करना चाहिए। वर्षपत्र के लिखने की विधि भो जन्मपत्र के लिखने के समान ही है। सिर्फ गताब्द और प्रवेशाब्द अधिक लिखे जाते हैं तथा जन्म के स्थान पर वर्षप्रवेश लिखा जाता है ।
मुन्या-साधन
नवग्रहों के समान ताजिक शास्त्र में मुन्था भी एक ग्रह माना गया है। इसकी वार्षिक गति १ राशि, मासिक २॥ अंश और दैनिक ५ कला है। गणित द्वारा इसका साधन करने के लिए गत वर्ष-संख्या में १ जोड़कर १२ का भाग देना चाहिए । जन्मलग्न राशि से शेष संख्या तक गिनने पर मुन्था की राशि आती है। मुन्थालग्न स्पष्ट करने की यह प्रक्रिया है कि स्पष्ट जन्मलग्न में गत वर्ष-संख्या को जोड़कर १२ का भाग देने पर शेष तुल्य स्पष्ट मुन्था का लग्न आता है ।
मारतीय ज्योतिष
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