________________
और मीन लग्न होने से लग्नेश और दशमेश में एकाधिपत्य होता है ) तो जातक स्वअजित उत्तम धन से सत्कार्य करता है। दशम में कई शुभग्रह हों तो जातक अनेक पुण्य कार्य करता है। चन्द्रमा से दशम भाव में बलवान् शुभ ग्रह उच्चादि वर्ग में स्थित हो तथा बृहस्पति से युक्त या दृष्ट हो तो जातक श्रेष्ठ कार्य करता है एवं जीवन में सर्वत्र सफलता प्राप्त करता है। दशमेश, बुध और बृहस्पति बलवान् हों तो जातक कर्मठ होता है और गोशाला, मन्दिर, तालाब, बाग़ आदि का निर्माण कराता है। यदि दशमेश शुभग्रह तथा चन्द्रमा के साथ हो और दशम स्थान में राहु और केतु नहीं हो तो जातक परम पुरुषार्थी होता है।
बुध अपने उच्च (कन्या) राशि में राहु, केतु से रहित हो अथवा नवम भाव में स्थित हो एवं दशमेश नवम भाव में हो तो मनुष्य अपने पुरुषार्थ में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है। दशमेश से दशम भाव राह स्थित हो और कर्मेश उच्चराशिगत होने पर भी ६।८।१२ में स्थित हो तो जातक को कर्म में सफलता नहीं प्राप्त होती। दशम और नवम स्थान में शुभग्रह हों और उन भावों के स्वामी बृहस्पति और लग्नेश बलवान् हों तो जातक आचार, धर्म, गुण, कर्म आदि में सफलता प्राप्त करता है।
-लग्न से अथवा चन्द्रमा से दशम स्थान में जो ग्रह हो उस ग्रह के द्रव्य से मनुष्य की जीविका होती है । लग्न से अथवा चन्द्रमा से दशम सूर्य हो तो पिता से धन मिलता है । चन्द्र हो तो माता से, मंगल हो तो शत्रु से, बुध हो तो मित्र से, गुरु हो तो भाई से, शुक्र हो तो स्त्री से, शनि हो तो सेवक से धन प्राप्त होता है । यदि लग्न और चन्द्रमा दोनों से दशम भाव में ग्रह हो तो अपनी-अपनी दशा में दोनों फल देते हैं। लग्न, चन्द्रमा इन दोनों में जो बली हो उससे दशम भाव का स्वामी जहाँ स्थित हो उस नवांशपति से आजीविका कहनी चाहिए ।
लग्न या चन्द्रमा से दशम स्थान का स्वामी सूर्य के नवांश में हो तो औषध, अन्न, तृण, धान्य, सोना, मुक्ता आदि के व्यापार से आजीविका कहनी चाहिए ।
लग्न या चन्द्रमा से दशम स्थान का स्वामी चन्द्रमा के नवांश में हो तो जल में उत्पन्न होनेवाली वस्तुओं के व्यापार से और कृषि, मिट्टी के खिलौने, विलास सामग्री आदि के व्यापार से लाभ कहना चाहिए ।
लग्न या चन्द्रमा से दशमेश, मंगल के नवांश में हो तो सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि के व्यापार से तथा कोयला एवं राख के व्यापार से धन लाभ कहना चाहिए।
लग्न या चन्द्रमा से दशमेश बुध के नवांश में हो तो शिल्प, काव्य, पुराण, ज्योतिष आदि के द्वारा आजीविका सम्पादित होती है।
___ लग्न या चन्द्रमा से दशमेश गुरु के नवांश में हो तो जातक शिक्षक, प्राध्यापक, पुराणवेत्ता एवं धर्मोपदेशक होता है। तृतीयाध्याप
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org