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भाग्योदय काल
सप्तमेश या शुक्र ३।६।१०।१११७वें स्थान में हो तो विवाह के बाद भाग्योदय होता है। भाग्येश रवि हो तो २२वें वर्ष में; चन्द्र हो तो २४वें वर्ष में; मंगल हो तो २८वें वर्ष में; बुध हो तो ३२वें वर्ष में; गुरु हो तो १६वें वर्ष में; शुक्र हो तो २५वें वर्ष में; शनि हो तो ३६वें वर्ष में और राहु हो तो ४२वें वर्ष में भाग्योदय होता है।
इस भाव का विशेष फल
१-नवम भाव में गुरु या शुक्र स्थित हो तो मन्त्री, शासनकार्य में सहयोग या विचार-परामर्श देनेवाला, कौन्सिल का मेम्बर, पार्लमेण्ट-सेक्रेटरी और प्रधान न्यायाधीश का पेशकार होता है। पर इस योग में ध्यान देने की एक बात यह है कि यह फल गुरु या शुक्र के उच्च राशि में रहने पर ही घटता है। नवम भाव पर शुभग्रह की दृष्टि भी अपेक्षित है।
२-नवमस्थ गुरु को सूर्य देखता हो तो राजा के समान, धारासभाओं का सदस्य, जनता का प्रतिनिधि; चन्द्र देखता हो तो विलासी, सुन्दरदेही; मंगल देखता हो तो कांचन, हिरण्य आदि मूल्यवान् धातुओंवाला; बुध देखता हो तो धनी; शुक्र देखता हो तो पशु, धन-धान्य आदि सम्पत्ति से युक्त; शनि देखता हो तो चल-अचल नाना प्रकार की सम्पत्ति का स्वामी होता है ।
३-गुरु को सूर्य-मंगल देखते हों तो ऐश्वर्य, रत्न, स्वर्ण आदि सम्पत्ति से युक्त, साहसी, धीर-वीर, पराक्रमी और बड़े परिवारवाला होता है; सूर्य-बुध देखते हों तो सुन्दर, भाग्यवान्, सुन्दर स्त्री का पति, धनी, कवि, लेखक, संशोधक, सम्पादक और विद्वान् होता है; सूर्य-शुक्र देखते हों तो उद्यमी, कलाविद्, यशस्वी, सुरुचिसम्पन्न, सुखी और नम्र होता है; सूर्य-शनि नवमस्थ गुरु को देखते हों तो नेता, प्रतिनिधि, कोषाध्यक्ष, प्रख्यात, मजिस्ट्रेट, न्यायाधीश और संग्रहकर्ता होता है; चन्द्र-मंगल देखते हों तो सेनापति, कीर्तिवान्, धारासभा का सदस्य, मन्त्री, सुखी, भाग्यवान्, चतुर और मान्य; चन्द्र-बुध देखते हों तो उत्तम सुख प्राप्त करनेवाला, तेजस्वी, क्षमावान्, विद्वान्, कवि, कहानीकार और संगीतप्रिय; चन्द्र-शुक्र देखते हों तो धनिक, कर्तव्यपरायण, सन्तानहीन और कुटुम्ब से दुखी; चन्द्र-शनि देखते हों तो अभिमानी, प्रवासी, मध्यावस्था में सुखी, अन्तिम जीवन में दुखी और कष्ट प्राप्त करनेवाला; मंगल-बुध देखते हों तो चतुर, सुशील, गायक, भूमिपति, विद्या द्वारा यशोपार्जन करनेवाला, प्रतिज्ञा पूर्ण करनेवाला और मान्य; मंगल-शुक्र देखते हों तो धनिक, विद्वान्, विदेश जानेवाला, तेजस्वी, सात्त्विक, चतुर, लब्धप्रतिष्ठ और शासन करनेवाला; मंगल-शनि देखते हों तो नीच, पिशुन, द्वेषी, विदेश यात्रा करनेवाला, नीच प्रकृति, धन-धान्य से परिपूर्ण होता है।
मारतीय ज्योतिष
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