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श्रीमान्, धनिक एवं दीर्घजीवी; शनि और गुरु हों तो धनवान् और रोग एवं शुक्र-शनि हों तो अधिक समृद्धिशाली होता है।
१२-नवम भाव में सूर्य, चन्द्र और मंगल हो तो जातक के शरीर में घाव, माता-पिताहीन, सामान्यतया धनिक; रवि, चन्द्र और बुध हों तो हिंसक, कुलाचारहीन, साधारणतया धनिक; रवि, चन्द्र और गुरु हों तो सुखी, वाहन परिपूर्ण एवं समृद्ध; सूर्य, चन्द्र और शुक्र हों तो झगड़ालू, निर्धन एवं व्यापार में धन नाश करनेवाला; सूर्य, चन्द्र और शनि हों तो दूसरे की नौकरी करनेवाला, साधारणतया भाग्यशाली एवं श्रेष्ठ व्यक्तियों से विरोध करनेवाला; सूर्य, मंगल, बुध हों तो सुन्दर, क्रोधी एवं विवादप्रिय; सूर्य, मंगल एवं गुरु हों तो लोकप्रिय, धनिक एवं भाग्यशाली; सूर्य, मंगल और शुक्र हों तो क्रोधी, स्त्रियों से झगड़नेवाला एवं निर्धन; सूर्य, मंगल और शनि हों तो बन्धुहीन, साधु एवं पितृहीन; सूर्य, बुध और गुरु हों तो यशस्वी एवं धनिक; सूर्य, बुध और शुक्र हों तो राजा के समान वैभवशाली तथा सूर्य, बुध और शनि हों तो परस्त्रीगामी एवं धनिक होता है। नवम भाव में सूर्य, बृहस्पति और शुक्र हों तो जातक परस्त्रीरत, धनी एवं पण्डित होता है; सूर्य, बृहस्पति और शनि हों तो धूर्तराट्; सूर्य, शुक्र और शनि हों तो निर्गुण एवं राजा से दण्डित; चन्द्र, मंगल और बुध हों तो जातक बाल्यावस्था में दुखी, युवावस्था में सुखी; चन्द्र, मंगल, गुरु हों तो भाग्यशाली; चन्द्र, मंगल और शुक्र हों तो स्त्रीरहित एवं रोगी; चन्द्र, मंगल और शनि हों तो कृपण एवं मातृहीन; चन्द्र, बुध और बृहस्पति हों तो विद्वान्, धनी एवं पराक्रमी; चन्द्र, बुध और शुक हों तो पराक्रमी एवं धनिक; चन्द्र, बुध और शनि हों तो जातक पापी, विवादप्रिय एवं बुद्धियुक्त; चन्द्र, गुरु और शुक्र हों तो राजा के समान समृद्धिशाली; चन्द्र, गुरु और शनि हो तो सद्गुणी एवं कर्मशील; शनि, बुध और शुक्र हों तो राजा के तुल्य एवं धनिक; बृहस्पति, मंगल और बुध हों तो मन्त्री, शासक एवं भाग्यशाली; बृहस्पति, मंगल और शुक्र हों तो शास्त्रवेत्ता, चंचल एवं भीरु; बृहस्पति, मंगल और शनि हों तो विवाद में तत्पर; शुक्र, बृहस्पति और बुध हों तो यशस्वी, विद्वान्, धनिक एवं धर्मात्मा; शुक्र, बृहस्पति और शनि हों तो श्रेष्ठ वक्ता एवं भाग्यशाली; गुरु, शुक्र, बुध और चन्द्रमा हों तो श्रीमान्, पराक्रमी एवं उद्योगी; सूर्य, मंगल, बृहस्पति और शनि हों तो साहसी, पराक्रमी एवं धनिक; शुक्र, मंगल, बृहस्पति और चन्द्रमा हों तो वीर, सर्वगुणसम्पन्न एवं रसिक तथा बृहस्पति, बुध और चन्द्रमा हों तो जातक यशस्वी एवं भाग्यशाली होता है ।
भाग्येश का द्वादश भावों में फल
भाग्येश लग्न में हो तो जातक धर्मात्मा, श्रद्धालु, पराक्रमी, कृपण, राज-कार्य करनेवाला, बुद्धिमान्, विद्वान्, कोमल प्रकृति का और श्रेष्ठ कार्यों में अभिरुचि रखनेवाला; द्वितीय भाव में हो तो शीलवान्, प्रख्यात, सत्यप्रिय, दानी, धर्मात्मा, धनिक, २६८
भारतीय ज्योतिष
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