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दें । भागफल में पुनः २०० का भाग देने पर क्रमशः पुत्र, भाई, स्त्री, दास, दासी आदि को संख्या आती है।
___ स्पष्ट पंचमेश और लग्नेश का योग करने से जो राशि अंश हो, उनमें अथवा उसके त्रिकोण में बृहस्पति के रहने से पुत्र प्राप्ति होती है।
स्पष्ट गुरु, चन्द्र और सूर्य के योग करने पर प्राप्त राशि में जितना नवांश गत हो उतने पुत्र होते हैं । अथवा पंचमेश, नवमेश, चतुर्थेश के स्पष्टैक्य राशि के नवांश संख्या तुल्य पुत्र जानने चाहिए । पंचम, नवम और चतुर्थ भाव में प्राप्त ग्रहों के योग राशि में गत नवांश संख्या तुल्य पुत्र जानने चाहिए ।
बृहस्पति, चन्द्रमा और लग्न से पंचम स्थान पुत्र का है और उससे नव राशिवाला भी स्थान पुत्रदायक है। इन राशियों के स्वामी की दशा में पुत्र प्राप्ति का फलादेश कहना चाहिए। पंचमेश और सप्तमेश को युक्त करने पर जो नक्षत्र हो उसकी स्पष्ट दशा तथा युक्त दृष्ट की दशा भुक्ति में पुत्र प्राप्ति का फल कहना चाहिए । पुत्र भावेश, पुत्र कारक, पुत्र भाव द्रष्टा और पुत्रभावस्थ ये चार ग्रह यदि ६।८।१२ में स्थित हों या इन भावों के स्वामी हों और निर्बल हों तो उनकी दशा अन्तर दशा में पुत्रनाश का फल कहना चाहिए।
यदि ये चारों ग्रह पूर्ण बली हों, और शुभग्रह हों तो अपनी दशा अन्तर दशा में पुत्र लाभ एवं पुत्रों की समृद्धि का फल कहना चाहिए ।
जन्म काल में पुत्रभावेश, पुत्रकारक, पुत्रभावदर्शी और पुत्रभावस्थ इन चारों ग्रहों के स्पष्ट राश्यादि के योग करने पर जो राशि नवांश हो, उसमें गोचरवश गुरु के जाने पर पुत्र का जन्म और शनि के जाने पर पुत्र का मरण होता है । पितृभाव विचार
पिता का विचार भी पांचवें भाव से किया जाता है। पंचमेश, शुभग्रह हो, पितृकारक ग्रह शुभ ग्रह से युक्त हो या पंचम भाव शुभ युक्त हो तो जातक को पिता का सुख प्राप्त होता है ।
पंचमेश अथवा पितृकारक ग्रह पारावत वैशेषिकांश में हो अथवा अपने उच्च में या मित्र के नवांश में स्थित हो तो पिता दीर्घायु होता है।
शुभग्रह और पंचमेश यदि नीच, अस्तंगत या शत्रुग्रह में स्थित हो अथवा क्रूर षष्ठी अंश में हो तो पिता को दुख होता है।
शनि, मंगल और राहु जन्म लग्न से ९।११ स्थान में हों तो पिता की मृत्यु होती है। शनि और मंगल ७८ में हो तो जातक के पुत्र की मृत्यु होती है। यदि मंगल पंचम या दशम भाव में स्थित हो तो मामा की मृत्यु । एवं सूर्य पंचम या दशम में स्थित हो तो पिता की मृत्यु और चन्द्रमा स्थित हो,तो माता की मृत्यु होती है। - सूर्य जिस राशि और जिस तवांश में हो उन दोनों में जो बलवान् हो, उससे
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