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हो तो स्त्री से द्वेष करनेवाला, रोगिणी भार्या का पति, स्त्री से हानि और कुटुम्ब से दुखी; सातवें भाव में हो तो दीर्घायु, शीलवान्, तेजस्वी, सुन्दर नारी का पति, सौभाग्यशाली, सुखी और कुटुम्ब से परिपूर्ण; आठवें भाव में हो तो वेश्यागामी, विवाह से वंचित, वास्तविक रतिसुख से वंचित और रोगी; नौवें भाव में हो तो तेजस्वी, शिल्पी, स्त्रीसुख से परिपूर्ण, सुन्दर रमणी के साथ रमण करनेवाला, धर्मात्मा और नीतिज्ञ; दसवें भाव में हो तो राजा से दण्ड पानेवाला, लम्पट, कामी, क्रूर और नीच कर्मरत; ग्यारहवें भाव में हो तो रूपवती, सुशीला रमणी का पति, गुणवान्, दयालु और धनिक एवं बारहवें भाव में हो तो गृह और बन्धु से हीन, स्त्रीसुखरहित या अल्प स्त्रीसुख पानेवाला होता है। यदि सप्तमेश क्रूर ग्रह हो तो उसका प्रत्येक भाव में अनिष्ट फल ज्ञात करना चाहिए ।
अष्टम भाव विचार
___ अष्टम भाव से प्रधानतः आयु का विचार किया जाता है। दीर्घायु के योग निम्न हैं
१-पंचम में चन्द्रमा, नौवें में गुरु और दसवें भाव में मंगल हो तो दीर्घायु योग होता है।
२-अष्टमेश अपनी राशि में हो और शनि अष्टम में हो।
३-अष्टमेश, लग्नेश और दशमेश १।४।५।७।९।१०वें भाव में हों तो दीर्घायु होता है।
४-षष्ठेश और व्ययेश दोनों लग्न में हों, दशमेश केन्द्र में हो और लग्नेश केन्द्र में हो तो दीर्घायु योग होता है।
५-पापग्रह ३।६।११ और शुभग्रह १।४।५।७।९।१० स्थानों में हों तो दीर्घायु योग होता है।
६-लग्नेश बलवान् होकर केन्द्र में हो तो दीर्घायु और सभी ग्रह तीसरे, चौथे अथवा आठवें स्थान में हों तो जातक दीर्घायु होता है। अल्पायु योग
१-वृश्चिक का सूर्य गुरु के साथ लग्न में हो और अष्टमेश केन्द्र में हो तो २२. वर्ष की आयु होती है।
२-१।४।५।८ राशियों का शनि लग्न में हो; शुभग्रह ३।६।९।१२ में हों तो २६ या २७ वर्ष की आयु होती है।
३-अष्टमेश पापग्रह हो और गुरु या पापग्रह से दृष्ट हो; लग्नेश अष्टम भाव में हो तो २८ वर्ष की आयु होती है।
४-चन्द्र या शनियुक्त सूर्य आठवें भाव में हो तो २९ वर्ष की आयु, राशीश
सुतोवाध्याय
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