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जल्दी सफलता प्राप्त करता है । यथा---
१२ K११
X१०मं.
भास्कर योग
यदि सूर्य से द्वितीय भाव में बुध हो। बुध से एकादश भाव में चन्द्रमा और चन्द्रमा से त्रिकोण में बृहस्पति स्थित हो तो भास्कर योग होता है। इस योग में उत्पन्न होनेवाला मनुष्य पराक्रमी, प्रभुसदृश, शास्त्रार्थवित्, रूपवान्, गन्धर्व विद्या का ज्ञाता, धनी, गणितज्ञ, धीर और समर्थ होता है। यह योग २४ वर्ष की अवस्था से घटित होने लगता है । यथा
इन्द्र योग
यदि चन्द्रमा से तृतीय स्थान में मंगल हो और मंगल से सप्तम शनि हो । शनि से सप्तम शुक्र हो और शुक्र से सप्तम गुरु हो तो इन्द्रसंज्ञक योग होता है। इस योग में उत्पन्न होनेवाला जातक प्रसिद्ध शीलवान्, गुणवान्, राजा के समान धनी, वाचाल और अनेक प्रकार के धन, आभूषण, प्रतापादि प्राप्त करनेवाला होता है । यथा
चं.
• भारतीय ज्योतिष
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