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प्राप्त करता है । यथा--
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X
१०
शु.
X
रुचक योग
यदि मंगल बलवान्, मूल-त्रिकोण, स्वगृह, उच्चगृह में प्राप्त होकर केन्द्र में स्थित हो तो रुचक योग होता है। इस योग में उत्पन्न होनेवाला जातक बलवान्, यशस्वी, शीलवान्, विद्वान्, कुशल वक्ता, धनी, सौन्दर्य-युक्त, शत्रुजित्, कोमल शरीरी
और तेजस्वी होता है। उसे मोटर की सवारी प्राप्त होती है । ७० वर्ष की अवस्था तक सुख भोगता है । यथा
१०
नवमेश, लाभेश, धनेश में से कोई भी ग्रह चन्द्रमा से केन्द्र में और लाभाधिपति, बृहस्पति हो तो जातक मन्त्रीपद प्राप्त करता है । यथा
भद्र योग
यदि बली बुध, मूल-त्रिकोण, स्वगृह, उच्चगृह को प्राप्त होकर केन्द्र में स्थित हो तो भद्र योग होता है। इस योग में उत्पन्न जातक शेर के समान मुख, मदोन्मत्त गज
भारतीय ज्योतिष
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