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लकड़ी और अनाज का व्यापारी भी उपर्युक्त योग से जातक होता है। मुक़दमा लड़ने में इसकी अभिरुचि अधिक रहती है।
चन्द्र हो तो शंख, मोती, प्रवाल आदि पदार्थों के व्यापार से, मिट्टी के खिलौने, सीमेण्ट, चूना, बालू, इंट आदि के व्यापार से, खेती, शराब की दुकान, तेल की दुकान एवं वस्त्र की दुकान से जीविका करता है ।
___ मंगल हो तो मेनसिल, हरताल, सुरमा प्रभृति पदार्थों के व्यापार से, बन्दुक, तोप, तलवार के व्यापार से या सैनिक वृत्ति से, सुनार, लुहार, बढ़ई, खटीक आदि के पेशे द्वारा एवं बिजली के कारखाने में नौकरी करके अथवा मशीनरी के कार्य द्वारा जातक आजीविका उत्पन्न करता है ।
बुध हो तो क्लर्क, लेखक, कवि, चित्रकार, जिल्दसाज़, शिक्षक, ज्योतिषी, पुस्तक विक्रेता, यन्त्रनिर्माणकर्ता, सम्पादक, संशोधक, अनुवादक और वकील के पेशे द्वारा आजीविका जातक करता है । मतान्तर से साबुन, अगरबत्ती, पुष्पमालाएँ, काग़ज़ के खिलौने आदि बनाने के कार्यों द्वारा जातक आजीविका अर्जन करता है।
___ गुरु हो तो शिक्षक, अनुष्ठान करनेवाला, धर्मोपदेशक, प्रोफ़ेसर, न्यायाधीश, वकील, वैरिस्टर और मुख्तार आदि के पेशे द्वारा जातक आजीविका करता है। लवण, सुवर्ण एवं खनिज पदार्थों का व्यापारी भी हो सकता है। किसी-किसी का मत है कि हाथी, घोड़ों का व्यापार भी यह जातक करता है।
__ शुक्र हो तो चाँदी, लोहा, सोना, गाय, भैंस, हाथी, घोड़ा, दूध, दही, गुड़, आलंकारिक वस्तुएँ, सुगन्धित चीजें एवं हीरा, माणिक्य आदि मणियों के व्यापार से जातक आजीविका करता है । मतान्तर से सिनेमा, नाटक आदि में पार्ट खेलने और शराब के व्यापार से भी आजीविका जातक करता है ।
शनि हो तो चपरासी, पोस्टमैन, हलकारा तथा जिनको रास्ते में चलना-फिरना पड़े वैसा काम करनेवाला, चोरी, हिंसा, नौकरी आदि द्वारा पेशा करनेवाला, प्रेस, खेती, बाग़वानी, मन्दिर में नौकरी और दूत का कार्य करना प्रभृति कामों से आजीविका करनेवाला जातक होता है। कुछ लोग दशम स्थान की राशि के स्वभावानुसार आजीविका निर्णय करते हैं । तृतीयेश का द्वादश भावों में फल
लग्न स्थान में तृतीयेश हो तो जातक बावदूक, लम्पट, सेवक, क्रूरप्रकृति, स्वजनों से द्वेष करनेवाला, अल्पधनी, भाइयों से अन्तिम अवस्था में शत्रुता करनेवाला और झगड़ालू प्रकृति का; द्वितीय भाव में हो तो भिक्षुक, धनहीन, अल्पायु, बन्धुविरोधी तथा द्वितीयेश शुभ ग्रह हो तो बलवान्, भाग्यवान्, देशमान्य और कुल में प्रसिद्ध; तृतीय भाव में हो तो सज्जनों से मित्रता करनेवाला, धार्मिक, राज्य से लाभान्वित होनेवाला
तृतीयाध्याय
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