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प्रथम विकल्प-चन्द्रमा से द्वितीय भाव में मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, इन ग्रहों में एक-एक ग्रह स्थित हों तो प्रथम विकल्प के पांच भेद होते हैं।
द्वितीय विकल्प-चन्द्रमा से द्वितीय मंगल-बुध, मंगल-गुरु, मंगल-शुक्र, मंगलशनि, बुध-गुरु, बुध-शुक्र, बुध-शनि, बृहस्पति-शुक्र, बृहस्पति-शनि और शुक्र-शनि के रहने से दस योग बनते हैं ।
तृतीय विकल्प-मंगल-बुध-बृहस्पति, मंगल-बुध-शुक्र, मंगल-बुध-शनि, मंगलबृहस्पति-शुक्र, मंगल-बृहस्पति-शनि, मंगल-शुक्र-शनि, बुध-बृहस्पति-शुक्र, बुध-बृहस्पतिशनि, बुध-शुक्र-शनि और बृहस्पति-शुक्र-शनि के रहने से दस योग बनते हैं ।
चतर्थ विकल्प-मंगल-बुध-बहस्पति-शुक्र, मंगल-बुध-गुरु-शनि, मंगल-ब्रहस्पतिशुक्र-शनि, मंगल-बुध-शुक्र-शनि और बुध-बृहस्पति-शुक्र-शनि के रहने से पाँच योग बनते हैं।
पंचम विकल्प-मंगल-बुध-बृहस्पति-शुक्र-शनि ये पांचों ग्रह चन्द्रमा से द्वितीय भाव में स्थित हों तो पंचम विकल्पजन्य एक योग होता है। इसी प्रकार सुनफा योग के ५ + १० + १० + ५ + १ = ३१ योग होते हैं ।
चन्द्रमा से द्वादश भाव में ग्रहों के स्थित होने से अनफा योग होता है। इस अनफा योग के भी पूर्ववत् ३१ भेद होते हैं। संक्षेप से इन योग-भेदों को अवगत करने के लिए सारणियाँ दी जा रही हैं
दुर्धरा योग के २० भेद एक स्थान में एक ग्रह रहने से
चन्द्र से २रे चन्द्र से १२वें | स्थान में | स्थान में
भेद संख्या
| चन्द्र से २रे चन्द्र से १२वें |
भेद संख्या स्थान में | स्थान में
११
१२
श.
१७
१९
२०
तृतीयाध्याप
३९५
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