________________
केदार योग
चार राशियों में समस्त ग्रह हों तो केदार योग होता है। इस योग के होने से जातक उपकारी, कृषक, सुखी, सत्यवक्ता, धनवान् और भूमि तथा कृषि के सम्बन्ध में नये कार्य करनेवाला होता है । पाश योग
पाँच राशियों में समस्त ग्रह हों तो पाश योग होता है। इस योग के होने से जातक बहुत परिवारवाला, प्रपंची, बन्धनभागी, कारागृह का अधिपति, गुप्तचर, पुलिस या सेना की नौकरी करनेवाला होता है। दाम योग
__ छह राशियों में समस्त ग्रह हों तो दाम योग होता है। इस योग के होने से जातक परोपकारी, परम ऐश्वर्यवान्, प्रसिद्ध, पुत्र-रत्नादि से पूर्ण होता है। दाम योग राजनीति में पूर्ण सफलता नहीं देता है । वीणा योग
__ सात राशियों में समस्त ग्रह स्थित हों तो वीणा योग होता है। इस योगवाला जातक गीत, नृत्य, वाद्य से स्नेह करता है । धनी, नेता और राजनीति में सफल संचालक बनता है। गजकेसरी योग
__ लग्न अथवा चन्द्रमा से यदि गुरु केन्द्र में हो और केवल शुभग्रहों से दृष्ट या युत हो तथा अस्त, नीच और शत्रु राशि में गुरु न हो तो गजकेसरी योग होता है । इस योगवाला जातक मुख्यमन्त्री बनता है । अमलकीति योग
लग्न या चन्द्रमा से दशम भाव में केवल शुभग्रह हो तो अमलकीर्ति योग होता है । इस योग में उत्पन्न मनुष्य राजमान्य, भोगी, दानी, बन्धुओं का प्रिय, परोपकारी, धर्मात्मा और गुणी होता है । पर्वत योग
__यदि सप्तम और अष्टम भाव में कोई ग्रह नहीं हो अथवा ग्रह हो भी तो कोई शुभग्रह हो तथा सब शुभग्रह केन्द्र में हों तो पर्वत नामक योग होता है। इस योग में उत्पन्न व्यक्ति भाग्यवान्, वक्ता, शास्त्रज्ञ, प्राध्यापक, हास्य-व्यंग्य लेखक, यशस्वी, तेजस्वी और मुखिया होता है। मुख्यमन्त्री बनानेवाले योगों में भी पर्वत योग की गणना है।
तीवाण्याप
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org