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की अवस्था से जीवन के अन्तिम क्षण तक मन्त्री पद पर प्रतिष्ठित रहता है । सेनाध्यक्ष का पद भी कल्पद्रुम योगवाले व्यक्ति को प्राप्त होता है । लग्नाधि योग
___ लग्न से ७८वें स्थान में शुभग्रह हों और उनपर पापग्रह की दृष्टि या योग न हो तो लग्नाधि नामक योग होता है। इस योगवाला व्यक्ति महान् विद्वान् , महात्मा, सुखी और धन-सम्पत्तियुक्त होता है। राजनीति में भी यह व्यक्ति अद्भुत सफलता प्राप्त करता है। लग्नाधि योग के होने पर जातक को सांसारिक सभी प्रकार के सुख और ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। अधि योग
चन्द्रमा से ६१७८वें भाव में समस्त शुभग्रह हों तो अधियोग होता है । इस योग में जन्म लेनेवाला मन्त्री, सेनाध्यक्ष, राज्यपाल आदि पदों को प्राप्त करता है । अधियोग के होने से व्यक्ति अध्ययनशील होता है और वह अपनी बुद्धि तथा तेज के प्रभाव से समस्त व्यक्तियों को आकृष्ट करता है । सुनफा योग
सूर्य को छोड़कर चन्द्रमा से द्वितीय स्थान में कोई शुभग्रह हो तो सुनफा योग होता है। इस योग के होने से जातक सुखी होता है, उसे धनधान्य-ऐश्वर्य आदि प्राप्त होते हैं।
अनफा योग
चन्द्रमा से द्वादश भाव में समस्त शुभग्रह हों तो अनफा योग होता है। इस योग के होने पर व्यक्ति चुनाव कार्यों में सफलता प्राप्त करता है । यह अपने भुजबल से धन, यश और प्रभुत्व का अर्जन करता है। दुरधरा योग
चन्द्रमा से द्वितीय और द्वादश भाव में समस्त शुभग्रह हों तो दुरधरा योग होता है। इस योग के प्रभाव से जातक दानी, धनवाहनयुक्त, नौकर-चाकर से विभूषित, राजमान्य एवं प्रतिष्ठित होता है । केमद्रुम योग
यदि चन्द्रमा के साथ में या उससे द्वितीय, द्वादश स्थान में तथा लग्न से केन्द्र में सूर्य को छोड़कर अन्य कोई ग्रह नहीं हो तो केमद्रुम योग होता है। इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति दरिद्र और निन्दित होता है। ३१२
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