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उदाहरण-७११९ पश्चिम नत है ( इष्ट काल पर से प्रथम नतसाधन के नियमानुसार आया है ) इसे ३० घटी में से घटाया तो-३०१०
७।१९ .
उन्नत-पश्चिम २२।४१ उपर्युक्त नियम में सूर्य का नतोन्नत बल उन्नत द्वारा बनाया जाता है अतः २२।४१४२ = ४५।२२ कलादि नतोन्नत बल सूर्य, गुरु और शुक्र का हुआ।
चन्द्र, भौम शनि का-७।१९४२ = १४।३८ कलादि बल हुआ । बुध का एक अंश माना जायेगा। अतः इस उदाहरण का नतोन्नत बल-चक्र निम्न प्रकार बनेगा
नतोन्नत बलचक्र | सू. । चं. । भौ. । बु. । बृ._ शु. श. प्र.
। ० १ ० ० ० | अंश । १४ १४ ० ४५ | ४५ | १४ | कला २२ । ३८ । ३८ । ०। २२ । २२ । ३८ । विकला पक्षबलसाधन-सूर्य-चन्द्रमा के अन्तर के अंशों में ३ का भाग देने से शुभ ग्रहों-चन्द्र, बुध, गुरु और शुक्र का पक्षबल होता है, इसे ६० कला में घटाने से पापग्रहों-सूर्य, मंगल, शनि और पापयुक्त बुध का पक्षबल होता है । उदाहरण-चन्द्रमा १। ०।२४।३४ में से
सूर्य ०।१०। ७।३४ को घटाया
२०।१७। ० ३)२०१७(६ कला ६।४५ शुभग्रहों का
- पक्षबल हुआ २x६० १२०
३)१३७(४५ विकला
६०। .
६.४५ ५३।१५ अशुभ ग्रहों का पक्षबल होगा।
१७
पक्षबल चक्र
| सू.
श.
ग्र.
च
अंश
कला १५ । १५
। ४५ । ४५ । १५ । विकला
द्वितीयाध्याय
३०
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