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अरिष्ट का विशेष विचार
__ लग्न में अस्त चन्द्रमा पापग्रह के साथ हो और मंगल अष्टम स्थान में स्थित हो तो माता एवं पुत्र दोनों की मृत्यु होती है। लग्न में सूर्य या चन्द्रमा स्थित हो, त्रिकोण (५९) अथवा अष्टम में बलवान् पापग्रह स्थित हो तो जातक को शीघ्र मृत्यु होती है। द्वादश भाव में शनि, नवम में सूर्य, लग्न में चन्द्रमा और अष्टम में मंगल हो तो जातक की एक वर्ष के बीच ही मृत्यु होती है। चन्द्रमा, षष्ठ या अष्टम भाव, पाप ग्रह द्वारा दृष्ट हो तो जातक को एक वर्ष के बीच ही मृत्यु होती है। दो वर्ष की आयु का विचार
वक्री शनि, मंगल १८ राशि में स्थित होकर केन्द्र में हो अथवा षष्ठ या अष्टम में हो और बली मंगल द्वारा दृष्ट न हो तो बालक दो वर्ष तक जीवित रहता है ।
चं.श.
५
दोवर्ष की
११
॥
तीनवर्षकी
३
साय
प्रायु
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पा.
तीन वर्ष की आयु का विचार
बृहस्पति मंगल की राशि में स्थित होकर अष्टम भाव में हो तथा उसे सूर्य, चन्द्र, मंगल और शनि देखते हों एवं शुक्र द्वारा दृष्ट न हो तो बालक की तीन वर्ष की आयु होती है। चार वर्ष की आयु का विचार
___ कर्क राशि का बुध, जन्मलग्न से षष्ठ या अष्टम स्थित हो और यह चन्द्र द्वारा दृष्ट हो तो जातक की आयु चार वर्ष की होती है। यह योग तभी घटित होता है जब चन्द्रमा की दृष्टि बुध पर पायी जाती है । पाँच वर्ष की आयु का विचार
... रवि, चन्द्र, मंगल और गुरु एकत्र स्थित हों अथवा मंगल, गुरु, शनि और चन्द्रमा एकत्र स्थित हों अथवा रवि, शनि, मंगल और चन्द्रमा एक साथ स्थित हों तो जातक की पांच वर्ष की आयु होती है।।
मारतीय ज्योतिष
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