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३२वर्षकी
आयुयोग
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अल्पायुयोग विचार
पापग्रह ६।८।१२वें स्थान में, लग्नेश निर्बल हो और शुभग्रह से दृष्ट युक्त न हो तो अल्पायुयोग होता है । अष्टमेश या शनि क्रूर षष्ठांशक में हो और पापग्रह युक्त हो तो अल्पायुयोग होता है। पापग्रह से युक्त द्वितीय या द्वादश भाव हों और शुभग्रह द्वारा देखे न जाते हों तो अल्पायुयोग होता है ।
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अल्यायुयोग विचार
अरिष्टभंग योग
१-शुक्ल पक्ष में रात्रि का जन्म हो और छठे, आठवें स्थान में चन्द्रमा स्थित हो तो सर्वारिष्टनाशक योग होता है ।
२–शुभग्रहों की राशि और नवमांश २।७।९।१२।३।६।४ में हो तो अरिष्टनाशक योग होता है।
३--जन्मराशि का स्वामी ११४७११० स्थानों में स्थित हो अथवा शुभग्रह केन्द्र में गये हों तो अरिष्टनाश होता है ।
४-सभी ग्रह ३।५।६।७।८।११ राशियों में हों तो अरिष्टनाश होता है ।
५-चन्द्रमा अपनी राशि, उच्चराशि तथा मित्र के गृह में स्थित हो तो सर्वारिष्ट नाश करता है।
६-चन्द्रमा से दसवें स्थान में गुरु, बारहवें में बुध, शुक्र और बारहवें स्थान में पापग्रह गये हों तो अरिष्टनाश होता है ।
सूखीयाध्याय
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