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क्षेपक चक्र
श
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रा.
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राशि अंश कला विकला
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उदाहरण-अहर्गण २२६७ है, मध्यम मंगल साधन करना है२२६७४१० = २२६७० २२६७०:१९ =
| २२६७०७२-३१०।३२ कलादि ११९६।१८।५६ अंशादि फल
फल इसे अंशादि करने के लिए कलाओं
में ६० का भाग दिया तो ३१०।३२ ६०)३१०(५।१०
अर्थात् ५।१०।३२ ११९६।१८।५६
५।१०।३२ ११९१।८।२४ इसके राश्यादि बनाये तो ३९।११।८।२४ हुए । यहाँ राशि स्थान में १२ से अधिक है। अतः १२ का भाग देकर शेष लब्धि को छोड़ दिया और शेषमात्र को ग्रहण कर लिया।
३।११।८।२४ अहर्गणोत्पन्न मध्यम मंगल इसे प्रातःकालीन बनाने के लिए-अहर्गण साधन में जो चक्र ३८ आया है उसे मंगल के ध्रुवक से गुणा किया तो---१।२५।३२।०४ ३८ = १०।१०।१६।०
३।११।८।२४ अहर्गणोत्पन्न मंगल में से १०।१०।१६।० चक्र गुणित मंगल के ध्रुवक को घटाया ५।०५२।२४ में १०७।८।० मंगल का क्षेपक जोड़ा ३।८1०।२४ मध्यम मंगल हुआ।
इसी प्रकार समस्त ग्रहों का मध्यम मान निकाल लेना चाहिए । भौमादि ग्रहों का शीघ्रोच्च बनाने का नियम
बुध और शुक्र के शीघ्र केन्द्र में मध्यम सूर्य युक्त करने से बुध और शुक्र का शीघ्रोच्च होता है । मंगल, बृहस्पति और शनि का शीघ्रोच्च मध्यम सूर्य ही होता है ।
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भारतीय ज्योतिष
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