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उल्का में अन्तर्दशा चक्र । सि. | सं. | मं. | पि. धा. भ्रा.
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दशा वर्ष मास दिन
सिद्धा में अन्तर्दशा चक्र
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भ्रा.
भ. | उ. ।
दशा वर्ष मास दिन
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सं. | मं.
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संकटा में अन्तर्वशा चक्र पि. | धा. | भ्रा. भ. | उ. | सि.। दशा
वर्ष मास दिन
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बलविचार
जन्मपत्री का यथार्थ फल ज्ञात करने के लिए षड्बल का विचार करना नितान्त आवश्यक है। क्योंकि ग्रह अपने बलाबलानुसार ही फल देते हैं। ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों के स्थानबल, दिग्बल, कालबल, चेष्टाबल, नैसर्गिक बल और दृग्बल ये छह बल माने गये हैं।
___ स्थानबल में उच्चबल, युग्मायुग्मबल, सप्तवर्गक्यबल, केन्द्रबल, द्रेष्काणबल ये पांच सम्मिलित हैं । इन पांचों बलों का योग करने से स्थानबल होता है।
उच्चबलसाधन
स्पष्ट ग्रह में से ग्रह के नीच को घटाना चाहिए। घटाने से जो आवे वह ६ राशि से अधिक हो तो १२ राशि में उसे घटा लेना चाहिए। शेष को विकला बना ले और उन विकलाओं में १०८०० से भाग देने पर लब्ध कलाएँ आयेंगी। शेष को ६० से गुणा कर, गुणनफल में १०८०० से भाग देने पर लब्ध विकलाएँ होंगी। इन कला-विकलाओं के अंशादि बना लें।
उदाहरण-स्पष्ट सूर्य ०।१०।७।३४ है, इसमें से सूर्य के नीच राश्यंश को घटाया तो ६।०७।३४ आया। यहाँ राशि स्थान में घटाने से अधिक होने के कारण इसे १२ राशि में से घटाया--
द्वितीयाध्याय
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