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की, पांचवीं जीव ( बृहस्पति ) की, छठी शनि की, सातवीं बुध की, आठवीं केतु की और नौवीं शुक्र की होती है । इसी प्रकार अन्य ग्रहों में समझना चाहिए। सारांश यह है कि जिस ग्रह की दशा हो उससे आ., चं., भौ. के क्रमानुसार अन्य नव ग्रहों की अन्तर्दशाएँ होती हैं।
अन्तर्दशा निकालने का सरल नियम यह है कि दशा-दशा का परस्पर गुणा कर १० से भाग देने से लब्ध, मास और शेष को तीन से गुणा करने से दिन होंगे।
___ अन्तर्दशा निकालने का एक अन्य नियम यह भी है कि दशा-दशा का परस्पर गुणा करने से जो गुणनफल आये उसमें इकाई के अंक को छोड़ शेष अंक मास और इकाई के अंक को तीन से गुणा करने पर दिन आयेंगे।
उदाहरण--सूर्य की महादशा में अन्तर्दशा निकालनी है तो सूर्य के दशा वर्ष ६ का सूर्य के ही दशा वर्षों से गुणा किया तो ६४ ६ = ३६ : १०=३ शेष ६ ६४३ = १८ दिन अर्थात् ३ मास १८ दिन सूर्य की दशा
सूर्य की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा % ६-१०-६० ६०१० = ६ मास
सूर्य में मंगल की-६४७ - ४२ : १० = ४ शेष २४३= ६ दिन = ४ मास ६ दिन
सूर्य में राहु की-६४१८ = १०८:१० = १० शेष ८४३ = २४ =१० मास २४ दिन
सूर्य में जीव-गुरु की अन्तर्दशा-६४१६ = ९६ : १० = ९ शेष ६ ६४३ = १८ दिन, ९ मास १८ दिन
सूर्य में शनि की अन्तर्दशा-६-१९ = ११४:१० = ११ शेष ४ ४४३ = १२ दिन, ११ मास १२ दिन
सूर्य में बुध की अन्तर्दशा-६४ १७ = १०२ १० = १० शेष २, २४३ = ६ दिन, १० मास ६ दिन
सूर्य में केतु की अन्तर्दशा-६४७ = ४२ १० = ४ शेष २४ ३ = ६ दिन, ४ मास ६ दिन
सूर्य में शुक्र की अन्तर्दशा-६x२० = १२०:१० = १२, १२ मास अर्थात् १ वर्ष चन्द्रमा की अन्तर्दशा में नौ ग्रहों की अन्तर्दशा१०x१० = १००:१० = १० मास = चन्द्र की महादशा में चन्द्र की अन्तर्दशा १०४७ =७०१० = ७ मास = चन्द्र में भौम की अन्तर्दशा १०x१८ = १८०१० = १८ मास = १ वर्ष ६ मास = चन्द्र में राहु की अन्तर्दशा
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मारतीय ज्योतिष
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