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शन्यन्तर्वज्ञा चक्र | श. । बु. । के. | शु. आ. | चं. । भौ. | रा. | जी. प्र.
१३। ११।२ २. वर्ष
।
२
मास । १२ । दिन
बुधान्तर्दशा चक्र
प.
मास दिन
केत्वन्तर्दशा चक्र .। भौ. | रा. | जी. | श
। ० १ ०
|
आ.
वर्ष १ मास ७ । दिन
६
६ ।
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२७ । १८ । शुक्रान्तर्दशा चना
शु. ।
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जी. |
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वर्ष मास | दिन
जन्मपत्री में अन्तर्दशा लिखने की विधि
जन्मकुण्डली में जो महादशा आयी है पहले उसकी अन्तर्दशा बनायी जाती है । अन्तर्दशा चक्रों में जिस ग्रह का जो चक्र है पहले कोष्ठक में विंशोत्तरी के समान उस चक्र के वर्षादि को लिख देना, मध्य में संवत् का कोष्ठक और अन्त में सूर्य का कोष्ठक रहेगा। सूर्य के राशि अंश को दशा के मास और दिन में जोड़ना चाहिए। दिन संख्या में तीस से अधिक होने पर तीस का भाग देकर लब्ध को मास में जोड़ देना चाहिए और मास संख्या में १२ से अधिक होने पर १२ का भाग देकर लब्ध को वर्ष में जोड़ देना चाहिए। नीचे और ऊपर के कोष्ठक के जोड़ने के अनन्तर मध्यवाले में संवत् के वर्षों में जोड़कर रख लेना चाहिए ।
जिस ग्रह की महादशा आयी है, उसका अन्तर निकालने के लिए उसके भुक्त वर्षों को अन्तर्दशा के ग्रहों के वर्षों में से घटाकर तब अन्तर्दशा लिखनी चाहिए ।
प्रस्तुत उदाहरण में सूर्य की दशा आयी है । और इसके भुक्त वर्षादि १८/१२।१९।३६ है। सूर्य की महादशा में पहला अन्तर सूर्य का ३ मास १८ दिन, चन्द्रमा का ६ मास, भीम का ४ मास ६ दिन; इन तीनों को जोड़ा
भारतीय ज्योतिष
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