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आवश्यक परिभाषाएँ
६० प्रतिपल
६० विपल
६० पल
२४ मिनट
२३ पल
२३ विपल
२३ घटी ६० घटी
जातक
=
१२८
- पल
=
=
83
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१ विपल
=
१ घटी या दण्ड
१ घटी
१ मिनट
१ सेकेण्ड
=
= १ घण्टा
एक अहोरात्र
६० प्रतिविकला
६० विकला
६० कला
३० अंश
१२ राशि
८ यव
२४ अंगुल ४ हाथ
२००० बाँस
१ विकला
१ कला
१ अंश
१ राशि
= १ भगण
१ अंगुल
१ हाथ
१ दण्ड या बाँस
कोश
-
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=
जातक अंग में प्रधान रूप से जन्मपत्री के निर्माण द्वारा व्यक्ति की उत्पत्ति के समय के ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति पर से जीवन का फलाफल निकाला गया है ।
जन्मकुण्डली का गणित प्रधान रूप से इष्टकाल पर आश्रित है । इष्टकाल जितना सूक्ष्म और शुद्ध होगा, जन्मपत्री का फलादेश भी उतना ही प्रामाणिक निकलेगा । इष्टकाल — सूर्योदय से लेकर जन्म समय या अभीष्ट समय तक के काल को इष्टकाल कहते हैं ।
=
जहाँ का इष्टकाल बनाना हो उस स्थान का सूर्योदय बनाकर प्रचलित स्टैण्डर्ड टाइम को इष्ट स्थानीय [ लोकल ] सूर्य घड़ी का टाइम बना लें ।
=
स्थानीय सूर्योदय निकालने की विधि - पंचांग में प्रतिदिन को सूर्य क्रान्ति लिखी रहती है । जिस दिन का सूर्योदय बनाना हो उस दिन की क्रान्ति और इष्ट स्थानीय अक्षांश का फल आगेवाली चरसारणी में देखकर निकाल लेना चाहिए, और जो मिनट, सेकेण्ड रूप फल आये उसे उत्तरा क्रान्ति होने पर ६ घण्टे में जोड़ देने और दक्षिणा क्रान्ति में ६ घण्टे में से घटा देने पर सूर्यास्त का समय निकलता है । इसे १२ घण्टे में से घटाने पर सूर्योदय होता है; सूर्यास्तकाल को ५ से गुणा कर देने पर घट्यादि दिनमान होता है ।
उदाहरण - वि. सं २००१ वैशाख शुक्ल द्वितीया के दिन की उत्तरा क्रान्ति १२ अंश ५४ कला है । आरा में इस दिन का है । आगे दी गयी अक्षांश-देशान्तर बोधक सारणी में आरा का
दिया गया है । इन दोनों पर से चरसारणी के अनुसार मिनट, सेकेण्ड रूप फल
निकालना है ।
सारणी में २५ अंश अक्षांश का १२ अंश के क्रान्तिवाले कोठे में २२ मिनट
भारतीय ज्योतिष
विश्वपंचांग में सूर्य सूर्योदय निकालना
अक्षांश २५ १३० '
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