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अंशादि लब्ध उसे पहलेवाले फल में जोड़ देने पर भयात का अंशादि फल आ जायेगा; पुनः नक्षत्र और इस भयात के फल को जोड़ देने से चन्द्र स्पष्ट हो जायेगा। यहाँ स्मरण रखने की एक बात यह है कि १३ अंश २० कला का विभाजन भभोग में करना चाहिए । कारण भभोग ६० घटी से प्रायः सर्वदा ही ज्यादा या कम होता है अतः भयात के पलों को १३ अंश २० कला से गुणा कर भभोग के पलों का भाग देकर जो अंशादि फल आये उसे नक्षत्रफल में जोड़ने से स्पष्ट चन्द्रमा होता है। .
उदाहरण-भयात १६।३९ कृत्तिका, भभोग ५८०४४। यहां जन्मनक्षत्र के पहले का नक्षत्र भरणी है। अतः भरणी के नीचे की अंकसंख्या ०।२६।४०१० है । पलात्मक भयात ९९९ और पलात्मक भभोग ३५२४ है। अतएव १३ अंश २० कला १३२ = १३+3= xsts = ४१२२० = ४० x प = ३३३३० = ३६ ४.५० = ४७क x
= ०; ७८० - ०; ३।४७।० अंशादि । ०।२६।४०।० भरणी की अंक संख्या । ३।४७१० भयात का फल
११ ०१२०१० स्पष्ट चन्द्रमा नक्षत्रोपरि स्पष्ट राश्यादि चन्द्र सारणी
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