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दशमांश चक्र मे. वृ. मि.क. सि.क. तु. वृ. घ. म. कु. मी.
रा. संख्या
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३० प्रथम
او امهای اسااممم اه اه امام به ماه ها به ام ای اس اهام امراه اب اس آی ام امراه امام اه اه اه اس ام اس ام اس ایام امام امام مهام امراه امام و امها مع امهای اس ام اس اس آیه ای امراه امام آهامه المهم أمام امراه امام اما بر اساه به ماه ام مرام إمامراه مع العام
ماما تمام ام اب اس او ایمے امیر
१५/० पंचम १८४० षष्ठ
उदाहरण-लग्न ४।२३।२५।२७ है, इसे दशमांश चक्र में देखा तो सिंह में आठवाँ दशमांश मीन राशि का मिला। अतः दशमांश कुण्डली की लग्न राशि मीन होगी। ग्रहों के स्थापन के लिए सूर्य ०।१०।७४३४ का दशमांश मेष का चौथा हुआ, अर्थात् सूर्य की दशमांश कुण्डली में कर्क राशि में स्थिति रहेगी। इसी प्रकार चन्द्रमा की दशमांश राशि कन्या, मंगल की मकर, बुध की वृश्चिक, गुरु की वृश्चिक, शुक्र की मिथुन, शनि की मिथुन, राहु की मिथुन और केतु की धनु होगी।
दशमांश कुण्डली चक्र
११
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KE के.
६ चं०
द्वादशांश-एक राशि में १२ द्वादशांश होते हैं अर्थात् राशि के बारहवें भाग २३ अंश का एक द्वादशांश होता है। द्वादशांश गणना अपनी राशि से ली जाती है । जैसे मेष में मेष से, वृष में वृष से, मिथुन में मिथुन से आदि । तात्पर्य यह है कि जिस
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